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उत्तराखंडः निकाय के लिए प्रत्याशियों के नाम से छंटेगा कुहासा ?

निकाय चुनाव की तारीख के ऐलान के बाद भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों एक्टिव मोड में चुनाव को लेकर नजर आ रही हैं। पिछले तीन दिनों से भारतीय जनता पार्टी कार्यालय ओर कांग्रेस कार्यालय में बैठकों का दौर उम्मीदवारों के चयन को लेकर जारी है। ऐसे में क्या कुछ प्रक्रिया उम्मीदवारों के चयन को लेकर अपनाई जा रही है।  देखिए रिपोर्ट में...

By HO BUREAU 

Updated Date

देहरादून। निकाय चुनाव की तारीख के ऐलान के बाद भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों एक्टिव मोड में चुनाव को लेकर नजर आ रही हैं। पिछले तीन दिनों से भारतीय जनता पार्टी कार्यालय ओर कांग्रेस कार्यालय में बैठकों का दौर उम्मीदवारों के चयन को लेकर जारी है। ऐसे में क्या कुछ प्रक्रिया उम्मीदवारों के चयन को लेकर अपनाई जा रही है।  देखिए रिपोर्ट में…

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निकाय चुनाव की तैयारी के बीच भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस अपने उम्मीदवारों के नाम के चयन को लेकर मंथन और चिंतन कर रही है । कुछ दिनों से बीजेपी और कांग्रेस कार्यालय में प्रदेश नेतृत्व के साथ उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा हो रही है ।  मेयर पद के उम्मीदवारों के नाम पर माथापच्ची के बाद भाजपा कांग्रेस दोनों ने हाई कमान को नाम फाइनल करने की बात कही हैं।

वहीं नगर पंचायत, नगर पालिका अध्यक्ष, पार्षद और सभासदों के नाम का ऐलान प्रदेश संगठन ही करेगी । वैसे सत्ताधारी दल बीजेपी कभी भी किसी भी वक्त अपने नामों की लिस्ट जारी कर सकती है। वहीं बात कांग्रेस के घर की करें तो कांग्रेसी भी कमर बांधकर पूरी तैयारी में जुटे हैं और जल्द ही उम्मीदवारों के नाम की घोषणा करने का दावा किया जा रहा है । कांग्रेस का कहना है  कि भाजपा भले ही कांग्रेस पर प्रत्याशी न होने का आरोप लगाती हो लेकिन आरक्षण घोषित होने के बाद भाजपा बिन पानी की मछली की तरह तड़प रही थी जो साबित करता है कि भाजपा के पास तो जनाधार है और न ही प्रत्याशी उनके पास नहीं है।

कुल मिलाकर देखें तो प्रत्याशियों की उम्मीदवारों की चयन के लिए भाजपा और कांग्रेस कई तरीके की प्रक्रियाओं को अपना रही है । भाजपा पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के साथ दल के कराए गए सर्वे, संघ द्वारा लिए गए फीडबैक और फिर सरकार की एजेंसियों के द्वारा किए गए सर्वे को भी आंका जा रहा है । जबकि कांग्रेस अपने पर्यवेक्षक की रिपोर्ट और नेता के जन आधार को देखकर ही फैसला करेगी । ऐसे में देखना यही होगा कि जब उम्मीदवारों के नाम का ऐलान होगा तो क्या उसमें किसी गुट विशेष कि उम्मीदवारों की छाप देखने को मिलेगी या फिर वास्तव में पार्टी ने जो प्रक्रियाएं अपनाई है उसकी छाप उम्मीदवारों के नाम का ऐलान में दिखेगी।

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