रघुवर रखो मेरी लाज। झारखंड में बीजेपी का सूखता सरोवर हरा भरा करेंगे रघुवर ? झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी इस वक्त कार्यकर्ता हाथों सहित है। वैसे भी अब झारखंड में बीजेपी को बरगद और छवदार नामदार की जरूरत है। ऐसे में रघुवर दास की राजनीतिक एंट्री के पहले ग्रैंड मेगा सव रांची में किया गया उड़ीसा के राज्यपाल की पद से इस्तीफा देने के बाद सक्रिय राजनीतिक में वापस लौटने की उम्मीद से झारखंड के प्रमुख मुख्यमंत्री रघुवर दास का जिस तरह रांची एयरपोर्ट में जबरदस्त स्वागत किया, उससे साफ झलकता है कि पार्टी की सिर्फ नेतृत्व द्वारा आने वाला समय में एक बार फिर बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है ।
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रांची। रघुवर रखो मेरी लाज। झारखंड में बीजेपी का सूखता सरोवर हरा भरा करेंगे रघुवर ? झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी इस वक्त कार्यकर्ता हाथों सहित है। वैसे भी अब झारखंड में बीजेपी को बरगद और छवदार नामदार की जरूरत है। ऐसे में रघुवर दास की राजनीतिक एंट्री के पहले ग्रैंड मेगा सव रांची में किया गया उड़ीसा के राज्यपाल की पद से इस्तीफा देने के बाद सक्रिय राजनीतिक में वापस लौटने की उम्मीद से झारखंड के प्रमुख मुख्यमंत्री रघुवर दास का जिस तरह रांची एयरपोर्ट में जबरदस्त स्वागत किया, उससे साफ झलकता है कि पार्टी की सिर्फ नेतृत्व द्वारा आने वाला समय में एक बार फिर बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है ।
भाजपा कार्यकर्ताओं ने भव्य स्वागत किसी का स्वागत में इतना ढोल बजाया और पुष्प की वर्षा से कार्यकर्ताओं को उत्साह देकर रघुबर दास इतने अभिभूत हुए की भीड़ के बावजूद उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं को गाड़ी में खड़े होकर के हाथ हिला कर के सब का अभिवादन किया। दर असल यह है कि बीजेपी में इस वक्त बीजेपी के कार्यकर्ता डोमलाइज हैं बीजेपी के पास कोई बड़ा ओबीसी का बैकवर्ड का लीडर नहीं है। बीजेपी जानती थी कि रघुवर से बड़ा ओबीसी का कोई बड़ा लीडर नहीं है हालांकि विधानसभा चुनाव में सुदेश महतो को एक बड़ा ओबीसी का बड़ा चेहरा माना था।
लेकिन २०२४ के अग्निपथ पर सफल नहीं हो पाए सुदेश ने चुनाव हार के बाद यह समझा कि कुर्मी वोटरों आजसू पार्टी को तब्बजो नहीं दी इस लिए अभी झारखंड की राजनीति सुदेश की आवाज खामोश है पिछड़ा वोटर भी हांतोउत्साहित हो गया रघुबर दास के आने से बीजेपी को पुरानी जनाधार ला सकते है रघुबर पुराने लीडर वापस लौटने पर जनआधार वापस ला सकते हैं मजबूत संगठन से लेकर के तमाम ग्रास रूट तक संगठन का स्वरूप बदल सकते हैं अपने हिसाब से संगठन को मजबूत करना ।
वही पार्टी में बहिरागत नेताओं को भी ठीक करेंगे रघुवर के आने से जिन लोगों भाजपा नेताओं भरोसा जताया था अब न नए तरीके से भाजपा को तरीके से खड़ा करेंगे भाजपा खराब परफॉर्मेंस लोगों को भी जगह नहीं दी जाएगी। रघुवर पर आज बीजेपी की आस है बीजेपी को यह समझ में आई है 53% को वोटर को छोड़कर 28% आदिवासी बहुत रूप उम्मीद जगाई और ५३ % उसे पर कोई काम नहीं किया और 28% आदिवासी वोटर पर पूरी ताकत लाई बीजेपी को इस बात को यह समझ में आया कि अब हेमंत के रहते आदिवासी के वोटर ट्राइबल वोटर आने से रहा।
पिछड़ी जातियों का वोटरों की गोलबंदी सही तरीके से होती सरकार बन सकती थी पिछड़ी जातियों के वोटर राज्य में 43 सीटों पर टिकी है ऐसे में सरकार की सीढ़ी है बीजेपी ने लोकसभा के चुनाव के सियासी हवा को विधानसभा चुनाव में समझ नहीं पाई आदिवासी वोटो को साथ देने के लिए एड़ी से चोटी लगाया और पसीना बहाया कहीं बड़े नेताओं से लेकर पेशेवर नेताओं ने अपनी पसीना बहाया लेकिन कुछ भी हासिल नहीं हुआ हालात या हुई कि झारखंड के दिल में बीजेपी बसने वाली राज्य में बीजेपी अब हंसीये से बाहर है। अब तो रघुवर पर ही झारखंड बीजेपी के लाज है।