निकाय चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे बाकियों पर अनुशासन का चाबुक चलना शुरू हो चुका है। कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ही दलों ने ऐसे नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना शुरू कर दिया।
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देहरादून। निकाय चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे बाकियों पर अनुशासन का चाबुक चलना शुरू हो चुका है। कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ही दलों ने ऐसे नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना शुरू कर दिया।
निकाय चुनाव में जहां प्रत्याशियों के पक्ष में चुनाव प्रचार तेज हो गया है। वहीं सियासी दलों ने बागी कैंडिडेट पर अनुशासन का चाबुक चलाना भी शुरु कर दिया है। भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही दलों ने ऐसे बाकी नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और अपने जिला अध्यक्षों की रिपोर्ट के आधार पर उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना शुरू कर दिया।
भाजपा की तुलना में कांग्रेस का डंडा बागियों पर थोड़ी धीमी रफ्तार से चल रहा है… जबकि सत्ताधारी दल ने अपना अनुशासन का डंडा तेज करते हुए अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले ऐसे उम्मीदवारों को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित करने का कार्य शुरू कर दिया है । आंकड़ों की बात करें तो कांग्रेस अभी तक 16 नेताओं पर निष्कासन की कार्रवाई कर चुकी है साथ ही पिथौरागढ़ के विधायक मैहर के खिलाफ कार्रवाई के लिए हाई कमान को पत्र भेज चुकी है… जबकि भाजपा ने 94 बागी प्रत्याशियों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। अभी भी कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अन्य जनपदों ओर मंडलों की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे है ..
जिससे ओर भी लोगों के पार्टियों से बाहर होने की उम्मीद है। आपको बता दें कि निकाय चुनाव में राजनीतिक दलों के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले इन बागी प्रत्याशियों के चलते चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय बनता हुआ नजर आ रहा है जो सियासी दलों की चुनावी रणनीति बिगाड़ रहे हैं। भाजपा मान रही है कि जो नेता खुद को पार्टी से ऊपर और अपने परिवार को इस चुनाव में तरजीह दे रहे हैं उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाना जरूरी है।
भाजपा ने कहा कि उनकी पार्टी अनुशासन के पार्टी है और यहां पर पार्टी कार्यकर्ताओं का सम्मान होता है ऐसे में अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ने वालों को पूर्व में मनाने का काम किया गया था फिर 3 दिन का अल्टीमेटम दिया और ओर अब सीधे उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। कांग्रेस ने कहा कि हम नेता को चुनाव अपनी बात रखने का अवसर दिया गया था लेकिन पार्टी के खिलाफ बगावत करने वालों को राहत देना उचित नहीं था .. इसलिए उनके खिलाफ कार्यवाही करना उचित है। राजधानी देहरादून हो या सीमांत क्षेत्र पिथौरागढ़ हर जगह भाजपा कांग्रेस के लिए बागी प्रत्याशी मुसीबत बन रहे है … इसलिए दोनों ही दल अपने नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा रहे है।