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उत्तराखंड निकाय चुनावः कांग्रेस में कब खत्म होगा पतझड़, राह नजर आ रही काफी मुश्किल

उत्तराखंड कांग्रेस में 2016 में जो सबसे बड़ी बगावत हुई थी उसके बाद कांग्रेस उससे भी अभी तक कोई सबक नहीं ले रही है । 2016 में जहां कांग्रेस के नौ विधायकों ने बगावत कर दी थी तो वही 2022 में कांग्रेस के टिकट पर जिन 10 लोगों ने चुनाव लड़ा था वह भी भाजपा में शामिल हो चले हैं ।  ऐसे में 2027 के लिए कांग्रेस की राह काफी मुश्किल नजर आ रही है ।  

By HO BUREAU 

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देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस में 2016 में जो सबसे बड़ी बगावत हुई थी उसके बाद कांग्रेस उससे भी अभी तक कोई सबक नहीं ले रही है । 2016 में जहां कांग्रेस के नौ विधायकों ने बगावत कर दी थी तो वही 2022 में कांग्रेस के टिकट पर जिन 10 लोगों ने चुनाव लड़ा था वह भी भाजपा में शामिल हो चले हैं ।  ऐसे में 2027 के लिए कांग्रेस की राह काफी मुश्किल नजर आ रही है ।

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2016 में उत्तराखंड कांग्रेस में जो बगावत हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते हुई थी। वह अभी भी जारी है। कांग्रेस पार्टी से जो भी नेता नाराज हो रहे हैं वह सीधे भाजपा का दामन थामते हुए नजर आ रहे हैं।  2016 में कांग्रेस के नौ विधायकों ने बगावत कर भाजपा का दामन थाम लिया था। तो वही हरीश रावत को  बहुमत विधानसभा में साबित करना पड़ा था।

उसके बाद तो रेखा आर्य भी बगावत कर भाजपा में शामिल हो गई थी।  2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका खामियाजा उठाना पड़ा और बीजेपी को 70 विधानसभा सीटों में से 57 सीट हासिल हुई थी, जबकि कांग्रेस  महज 11 सीटों पर सिमट गई थी। कांग्रेस के लिए हालात 2017 के बाद भी प्रदेश में नहीं बदले । 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया।

हालांकि बीजेपी में आए यशपाल आर्य और हरक सिंह रावत की कांग्रेस में घर वापसी जरूर हुई है। लेकिन उसका असर विधानसभा चुनाव के नतीजे पर नहीं पड़ा और 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सीटें जरूर बढ़ीं । लेकिन भाजपा फिर भी 47 सीट विधानसभा चुनाव में जीत कर आ गई। 2024 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने फिर कांग्रेस में सेंधमारी करना शुरू कर दिया। जिसका नतीजा यह रहा की एक सेटिंग विधायक के रूप में राजेंद्र भंडारी बीजेपी में शामिल तो हुए ।

साथ ही कांग्रेस के टिकट पर 2022 में विधानसभा चुनाव लड़ने वाले विजयपाल सजवाण, मालचंद, जोत सिंह बिष्ट,धन सिंह नेगी, राजेंद्र भंडारी, शैलेंद्र रावत, अनुकृति गुंसाई, दान सिंह भंडारी, अंतरिक्ष सैनी, सुभाष चौधरी भी बीजेपी में शामिल हो गए। जो विधानसभा चुनाव 2022 में तो कांग्रेस के सिंबल पर लड़े ।

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लेकिन आज भाजपा में ये सब नेता शामिल है। अब कांग्रेस नेता मथुरा दत्त जोशी,कर्नाटक बिट्टू और जगत सिंह खाती के बीजेपी में शामिल होने से एक बार फिर चर्चाएं जोरो पर है, की 2027 तक अगर इसी तरीके से बगावत का सिलसिला जारी रहा तो । कांग्रेस की डगर बेहद मुश्किल हो जाएगी।

वहीं भाजपा में आये मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि 2016 में ही कांग्रेस को अलार्मिंग सिस्टम पता लगा चुका था । लेकिन कांग्रेस उससे सम्भली नहीं । अब हालात ये है कि कांग्रेस 2027 में और कमोजर हो जाएगी । वहीं बीजेपी रेड करपेट बैछाए अभी भी कांग्रेस के हर बागी का इंतजार कर रही है।

कांग्रेस की प्रदेश मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसोनी का कहना है कि कांग्रेस में जो महत्वाकांक्षी नेता थे, वह भाजपा में जा रहे है, इसलिए जो नेता कांग्रेस विचारधारा से जुड़े हैं,वह कांग्रेस में ही है एक दिन बीजेपी में जरूर ब्लास्ट होगा। क्योंकि बीजेपी ने ऐसे नेताओं की फौज इकट्ठा कर ली है जो महत्वाकांक्षी है।

कुल मिलाकर देखें तो कांग्रेस की हालत प्रदेश में बेहद कमजोर होती हुई नजर आ रही है, ऐसे में देखना यही होगा कि आखिरकार 2027 के रण से पहले कांग्रेस खुद को कैसे संभालती है और जो नेता कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं, क्या 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले यदि कोई नेता बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आना चाहेगा तो क्या ऐसे नेताओं को कांग्रेस वापस पार्टी में लगी।

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