Booking.com
  1. हिन्दी समाचार
  2. झारखंड
  3. झारखंडः यह कैसा राज्य जहां रोजगार ही नहीं, दूसरे देशों में पलायन को मजबूर मजदूर

झारखंडः यह कैसा राज्य जहां रोजगार ही नहीं, दूसरे देशों में पलायन को मजबूर मजदूर

जल- जंगल- जमीन के नाम से जाने जाना वाला झारखंड इस समय रोजी ,रोटी और रोजगार के लिए दर दर भटक रहा है। अगर आपको अब भी समझ में नहीं आया तो चलिए आपको पूरा मजरा समझाते हैं। बात दें कि झारखंड राज्य इस समय बेरोजगारी के बदहाल व्यवस्था से गुजर रहा है। राज्य के मजदूर रोजी रोटी और रोजगार के लिए दूसरे देशों में पलायन करने पर मजबूर हैं। वहां भी उनको दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो रही है।

By HO BUREAU 

Updated Date

रांची। जल- जंगल- जमीन के नाम से जाने जाना वाला झारखंड इस समय रोजी ,रोटी और रोजगार के लिए दर दर भटक रहा है। अगर आपको अब भी समझ में नहीं आया तो चलिए आपको पूरा मजरा समझाते हैं। बात दें कि झारखंड राज्य इस समय बेरोजगारी के बदहाल व्यवस्था से गुजर रहा है। राज्य के मजदूर रोजी रोटी और रोजगार के लिए दूसरे देशों में पलायन करने पर मजबूर हैं। वहां भी उनको दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो रही है।

पढ़ें :- झारखंडः हेमंत किसके सारथी ! दिल्ली विधानसभा चुनाव बना हेमंत सोरेन के गले की फांस

प्रदेश के मजदूरों की हालत सुधारने के लिए हेमंत सरकार ने कई योजनाएं लागू कीं।लेकिन सभी योजनाएं फ्लॉप साबित हुई। सरकार की इस नाकामयाबी की ताबूत में आखिर कील राज्य के अधिकारी ठोकने का काम कर रहे हैं। अधिकारियों की लापरवाही के कारण   मज़दूरों का हाल बद से बदतर है। दो समय की भूख की आग मिटाने के लिए लाखों मजदूर दूसरे राज्य से लेकर विदेश तक पलायन कर रहे हैं। वहां भी बिचौलिया उनके साथ स्कैम करने से बाज नहीं आ रहे हैं। जिसका खमियाजा मजदूरों को झेलना पड़ रहा है।

बता दें कि हाल ही में झारखंड के  अलग-अलग जिलों से 47 मजदूर सेंट्रल अफ्रीकी देश कैमरुन रोजगार की तलाश में गए थे, लेकिन उन्हें वहां धोखा मिला। उन्हें वहां, 3-3 माह तक के पैसे नहीं दिए गए।  हेमन्त सरकार  अपने पैसे से मजदूरों को वापस स्वदेश लाने में जुटी हुई है। सरकार की ओर से जारी एक बयान में बताया गया कि ये मजदूर मुंबई स्थित एक फर्म और कुछ बिचौलियों के चक्कर में आ गए और उन्होंने इन्हें कैमरुन देश में भेज दिया गया।

झारखंड सरकार ने कहा कि कैमरून में फंसे 47 मजदूरों में से 11 को राज्य में लाया गया है और बाकी लोगों की सुरक्षित वापसी के लिए कोशिश जारी हैं। इसकी जानकारी तब हुई जब राज्य सरकार द्वारा अफ्रीकी देश में फंसे राज्य के 47 श्रमिकों को कथित तौर पर वेतन का भुगतान न करने के आरोप में मुंबई स्थित एक फर्म और कुछ बिचौलियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई गई। इसके पहले 50 मजदूर मलयेशिया की लीडमास्टर इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी में झारखंड से काम करने के लिए गए थे।

हेमंत सरकार ने चुनाव समाप्त होने और नई सरकार के गठन के बाद कामगारों के स्वदेश वापस बुलाया। लेकिन ये सुनकर आपको ताज्जुब होगा की विदेशों में फसे 70 मजदूरों  में से 50 मजदूर  झारखंड के हैं।। 20 अन्य प्रदेशों के रहने वाले हैं.

पढ़ें :- झारखंड में तकरारः बंद पड़ी खदानों की जमीन राज्य सरकार को लौटाए केंद्रः सोरेन

इस प्रकार से कई घटना मजदूरों के साथ घट चुकी है। लेकिन एक तरफ जहां हेमन्त सरकार मजदूरों के साथ हमदर्द बनी हुई है तो दूसरी तरफ राज्य के अधिकारी मज़दूरों के लिए निरंकुश हो गए है।ऐसे में सवाल ये है की आखिर ये मजदूर गलत तरीके से बाहर कौन भेज रहा है और उनकी इस दुर्गति का जिम्मेदार कौन है ?

इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook, YouTube और Twitter पर फॉलो करे...
Booking.com
Booking.com