AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने Waqf Act को लेकर बड़ा बयान देते हुए इसे असंवैधानिक बताया है। सुप्रीम कोर्ट में इस एक्ट की वैधता को लेकर सुनवाई चल रही है, जिसे लेकर देशभर में बहस तेज हो गई है। ओवैसी ने कहा कि इस कानून की आड़ में मुसलमानों की संपत्ति को हथियाने की कोशिश की जा रही है। यह बयान राजनीतिक और धार्मिक दोनों ही दृष्टिकोणों से अहम माना जा रहा है।
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Waqf Act को लेकर ओवैसी का बड़ा बयान – “हम इस एक्ट को असंवैधानिक मानते हैं”
सुप्रीम कोर्ट में Waqf Act 1995 की वैधता को लेकर सुनवाई चल रही है और इसी बीच AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस कानून को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि वह और उनकी पार्टी इस एक्ट को असंवैधानिक मानते हैं और इसके प्रावधानों पर गंभीर सवाल उठाते हैं।
Waqf Act 1995 क्या है?
Waqf Act 1995 भारत सरकार द्वारा पारित एक विशेष कानून है जिसके तहत मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों, जैसे मस्जिद, कब्रिस्तान, मदरसे, और अन्य धार्मिक स्थलों को Waqf बोर्ड के तहत लाया जाता है। इस कानून के तहत Waqf बोर्ड इन संपत्तियों की देखरेख करता है और धार्मिक कार्यों के लिए उनका इस्तेमाल सुनिश्चित करता है।
ओवैसी का आरोप – संपत्ति पर नियंत्रण की कोशिश
हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा:
“Waqf Act मुसलमानों की धार्मिक और सामाजिक संपत्तियों पर सरकार द्वारा नियंत्रण की एक साजिश है। यह एक्ट संविधान में दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन करता है।”
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उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि Waqf संपत्तियों की हेराफेरी और गैरकानूनी अधिग्रहण के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है और Waqf बोर्ड एक “टूथलेस बॉडी” बन गया है।
सुप्रीम कोर्ट में क्या चल रही है सुनवाई?
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें Waqf Act की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाए गए हैं। याचिकाकर्ता का तर्क है कि यह कानून अन्य धार्मिक समुदायों के साथ भेदभाव करता है, और केवल मुस्लिम समुदाय के लिए एक अलग कानून बनाकर संविधान के सेक्युलर सिद्धांत का उल्लंघन किया गया है।
इस मुद्दे पर बंटे हैं राजनीतिक विचार
समर्थन: AIMIM और कुछ मुस्लिम संगठनों का मानना है कि Waqf Act जरूरी है ताकि धार्मिक संपत्तियों की सुरक्षा हो सके।
विरोध: कई संगठन और याचिकाकर्ता इसे धार्मिक समानता के खिलाफ मानते हैं। उनका कहना है कि हर धर्म के लिए एक समान कानून होना चाहिए।
क्या हैं संवैधानिक पहलू?
Waqf Act के खिलाफ उठ रहे सवाल Article 14 (समानता का अधिकार), Article 25 (धार्मिक स्वतंत्रता), और Article 26 (धार्मिक संस्थानों का प्रबंधन) से जुड़े हैं। ओवैसी का कहना है कि इस एक्ट को बिना मुस्लिम समुदाय की राय लिए लागू किया गया, जो न्यायिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
Waqf Act पर हो रही बहस अब केवल कानूनी दायरे में सीमित नहीं रही, बल्कि इसका असर राजनीतिक ध्रुवीकरण और धार्मिक भावनाओं पर भी पड़ रहा है। मुस्लिम संगठनों ने आशंका जताई है कि इस एक्ट को कमजोर करने से धार्मिक आज़ादी पर असर पड़ेगा, वहीं कुछ हिन्दू संगठनों ने इसे धार्मिक विशेषाधिकार बताया है।
मुस्लिम समुदाय की प्रतिक्रिया
कई मुस्लिम बुद्धिजीवियों और संगठनों ने ओवैसी के बयान का समर्थन किया है। उनका मानना है कि सरकार को Waqf बोर्ड की पारदर्शिता और कार्यप्रणाली को सुधारना चाहिए, लेकिन पूरे एक्ट को खत्म करना उचित नहीं है।
सरकार का क्या रुख है?
अब तक केंद्र सरकार ने इस पर कोई स्पष्ट स्टैंड नहीं लिया है, लेकिन यह संकेत जरूर मिल रहे हैं कि सरकार Waqf एक्ट में कुछ संशोधन ला सकती है। कोर्ट में सरकार की ओर से दाखिल हलफनामा आने के बाद स्थिति और साफ़ हो सकती है।
नज़रें अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर
सभी की नज़र अब सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और उसके फैसले पर टिकी हुई है। यह तय करेगा कि Waqf Act भारतीय संविधान के तहत कितनी वैधता रखता है और क्या इसे बदलने या खत्म करने की आवश्यकता है।