सियालदह में Indian Secular Front (ISF) ने Waqf संशोधन अधिनियम के खिलाफ ज़ोरदार प्रदर्शन किया। इस कानून को लेकर अल्पसंख्यक समुदाय में गहरी नाराजगी देखी जा रही है। प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर समुदाय के अधिकारों को छीनने का आरोप लगाया। ISF ने चेतावनी दी है कि अगर यह अधिनियम वापस नहीं लिया गया, तो आंदोलन और तेज़ होगा।
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सियालदह में गरजा जनसैलाब, Waqf संशोधन अधिनियम के खिलाफ उठा विरोध का तूफ़ान
कोलकाता के व्यस्त इलाके सियालदह में गुरुवार को Indian Secular Front (ISF) की अगुआई में हज़ारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए। यह विरोध प्रदर्शन केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए Waqf संशोधन अधिनियम के खिलाफ था, जिसे लेकर अल्पसंख्यक समुदाय विशेष रूप से मुस्लिम समाज में आक्रोश व्याप्त है।
ISF के कार्यकर्ताओं ने इस अधिनियम को संविधान विरोधी बताते हुए कहा कि यह अल्पसंख्यकों की धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं के अधिकारों का सीधा उल्लंघन है। प्रदर्शन में शामिल लोगों का कहना था कि यह कानून वक्फ संपत्तियों की स्वायत्तता को ख़त्म करता है और सरकार को अनुचित हस्तक्षेप की शक्ति देता है।
क्या है Waqf संशोधन अधिनियम?
Waqf अधिनियम भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और देखरेख से जुड़ा एक विशेष कानून है। इसके तहत मुस्लिम समुदाय द्वारा धार्मिक, परोपकारी और सामाजिक उद्देश्यों के लिए दी गई संपत्तियों को एक कानूनी ढांचे के अंतर्गत रखा जाता है। संशोधित अधिनियम में वक्फ बोर्डों की शक्ति सीमित कर दी गई है और सरकारी दखल को बढ़ा दिया गया है।
नए संशोधन के अनुसार, सरकार वक्फ संपत्तियों की जांच, निगरानी और यहां तक कि अधिग्रहण के लिए अधिकृत हो गई है। इस प्रावधान को लेकर ISF समेत कई मुस्लिम संगठनों का मानना है कि यह एक साजिश है जिससे समुदाय की धार्मिक संपत्तियों पर कब्जा किया जा सके।
ISF का सीधा हमला – “यह अल्पसंख्यकों की संपत्ति हड़पने की साज़िश”
ISF प्रमुख और पश्चिम बंगाल के पूर्व विधायक पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने इस कानून को “काले कानून” की संज्ञा दी। उन्होंने कहा,
“यह कानून मुस्लिमों के खिलाफ एक सोची-समझी साज़िश है। यह सरकार वक्फ की संपत्तियों पर कब्जा जमाना चाहती है और धार्मिक संस्थाओं की स्वायत्तता को खत्म करना चाहती है।”
प्रदर्शन के दौरान हाथों में तख्तियाँ लिए युवाओं, बुजुर्गों और महिलाओं ने जमकर नारेबाज़ी की –
“Waqf संपत्ति हमारी है, सरकार की मनमानी नहीं चलेगी!”
“हमारा अधिकार छीना तो सड़कों पर संघर्ष होगा!”
प्रदर्शन में क्या रहा खास?
सियालदह रेलवे स्टेशन के पास विशाल जनसभा आयोजित की गई।
हजारों की संख्या में ISF समर्थकों ने भाग लिया।
पुलिस बल को बड़ी संख्या में तैनात किया गया, लेकिन प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा।
प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी सौंपा।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और माहौल
जहाँ एक तरफ ISF और अन्य विपक्षी दल इस कानून का पुरज़ोर विरोध कर रहे हैं, वहीं केंद्र सरकार का दावा है कि संशोधन पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए किया गया है। लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह पारदर्शिता के नाम पर हस्तक्षेप है और इसका उद्देश्य राजनीतिक नियंत्रण स्थापित करना है।
क्या कहता है संविधान?
भारतीय संविधान धार्मिक स्वतंत्रता और संपत्ति के अधिकार की रक्षा करता है। कई विधि विशेषज्ञों ने इस अधिनियम को न्यायिक समीक्षा के तहत लाने की मांग की है। ISF ने भी उच्चतम न्यायालय में इस अधिनियम को चुनौती देने का संकेत दिया है।
ISF की चेतावनी – “संघर्ष रुकने वाला नहीं है”
प्रदर्शन के अंत में ISF नेताओं ने स्पष्ट कहा कि यह केवल एक शुरुआत है। अगर सरकार ने Waqf संशोधन अधिनियम को वापस नहीं लिया, तो राज्य स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक बड़े आंदोलन की योजना बनाई जाएगी।