राज्य में निकाय चुनाव का रास्ता साफ हो गया है । राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने सभी निकायों में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण के अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही निकायों में ओबीसी आरक्षण की अधिकतम 14% की सीमा की बंदिश खत्म होने जा रही है । सरकार अब आबादी के मुताबिक ओबीसी के लिए निकायवार आरक्षण तय कर सकती है। अंदर की खबर ये है कि सरकार जल्द आरक्षण का स्वरूप जारी कर आपत्तियां आमंत्रित करने जा रही है यानि सवाल ये कि क्या निकाय चुनाव का रास्ता साफ।
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देहरादून। राज्य में निकाय चुनाव का रास्ता साफ हो गया है । राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने सभी निकायों में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण के अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही निकायों में ओबीसी आरक्षण की अधिकतम 14% की सीमा की बंदिश खत्म होने जा रही है । सरकार अब आबादी के मुताबिक ओबीसी के लिए निकायवार आरक्षण तय कर सकती है। अंदर की खबर ये है कि सरकार जल्द आरक्षण का स्वरूप जारी कर आपत्तियां आमंत्रित करने जा रही है यानि सवाल ये कि क्या निकाय चुनाव का रास्ता साफ।
तो क्या निकाय चुनाव का रास्ता अब साफ हो गया है जी क्योंकि राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने सभी निकायों में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण के अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। अंदर की खबर ये है कि प्रदेश में आबादी के आधार पर आयोग की सिफारिशों के मुताबिक 11 नगर निगमों में से दो मेयर पद ओबीसी के लिए आरक्षित किए जा सकते हैं।
साथ ही 45 नगर पालिकाओं में से 13 और 46 नगर पंचायतों में 15 का अध्यक्ष पद ओबीसी के लिए रिजर्व किया जा सकता है। यानि दो नगर निगम में मेयर,13 पालिका और 15 नगर पंचायत के अध्यक्ष पद ओबीसी के लिए हो सकते है आरक्षित यानि कुल मिलाकर समझे तो अध्यादेश को मंजूरी के साथ ही सारी बंदिश खत्म होने जा रही है वैसे तो मौजूदा वक्त में लागू आरक्षण की 14 फीसदी की है सीमा,
चलिए अब आगे क्या होगा वो भी समझिए
दरअसल निकायों के वार्ड आरक्षण जिलाधिकारी तय करेंगे, मेयर और नगर पालिका अध्यक्षों का आरक्षण निदेशालय स्तर पर तय होगा, आरक्षण तय होने के बाद आपत्तियां ली जाएगी, आपत्तियों के आधार पर आरक्षण में संशोधन किया जा सकता है।
वहीं नगर निकाय चुनाव से जुड़े अध्यादेश को राज भवन से मंजूरी मिलने के साथ राजनीतिक तेज हो गई है। कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों चुनावी वरदिश शुरू कर चुके हैं। निकाय चुनाव को लेकर कांग्रेस और भाजपा भले ही जीत के दावे कर रहे हो । लेकिन आरक्षण भी हार ओर जीत को लेकर बहुत कुछ तय करेगा। जैसे ही तारीख का ऐलान होगा उसके बाद चुनाव की सियासी गर्मी ज्यादा देखने को मिलेगी।