भारत और अमेरिका के बीच चल रही महत्वपूर्ण व्यापार वार्ता में भाग लेने के लिए भारतीय वाणिज्य अधिकारियों का प्रतिनिधिमंडल अमेरिका पहुंचा है। यह वार्ता रणनीतिक साझेदारी और व्यापार सहयोग को और गहरा करने की दिशा में एक अहम कदम है। इस बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि बिना उनकी भागीदारी के दुनिया में शांति की कोई संभावना नहीं, और डोनाल्ड ट्रंप को भी यह समझना चाहिए कि शांति में उनकी भूमिका जरूरी है।
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भारतीय व्यापार अधिकारियों का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल इन दिनों अमेरिका में व्यापारिक वार्ताओं के लिए मौजूद है। इन बातचीतों का उद्देश्य भारत और अमेरिका के बीच व्यापार में मौजूद बाधाओं को दूर करना, टैरिफ विवादों का हल निकालना, और टेक्नोलॉजी व इनोवेशन के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना है। दोनों देशों के बीच यह वार्ता न केवल द्विपक्षीय व्यापार को सशक्त बनाएगी, बल्कि वैश्विक व्यापार संरचना में भारत की भूमिका को भी मजबूत करेगी।
प्रतिनिधिमंडल में भारत के वाणिज्य मंत्रालय, उद्योग विभाग, और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। अमेरिका की ओर से यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (USTR) और वाणिज्य विभाग के अधिकारी इन वार्ताओं में भाग ले रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बैठक Free Trade Agreement (FTA) जैसे बड़े फैसलों की दिशा में एक निर्णायक कदम हो सकता है।
वार्ता में क्लीन एनर्जी, सेमीकंडक्टर्स, डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग, और डिजिटल व्यापार पर खास फोकस है। भारत अमेरिका के साथ तकनीकी स्थानांतरण (Technology Transfer) और निवेश के अवसरों को बढ़ाना चाहता है। अमेरिका भी भारत को एशिया में एक भरोसेमंद साझेदार मानता है और इसलिए Supply Chain Diversification में भारत की भूमिका अहम मानी जा रही है।
भारत ने स्पष्ट किया है कि वह स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने, नौकरी के अवसर बढ़ाने, और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को प्राथमिकता देगा। अमेरिकी पक्ष ने भी भारत को व्यापारिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने और बिजनेस फ्रेंडली माहौल तैयार करने के लिए समर्थन दिया है।
इसी दौरान एक अलग अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का एक बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि “बिना रूस की भागीदारी के वैश्विक शांति असंभव है।” पुतिन ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी यह संदेश दिया कि अगर वे फिर से सत्ता में आते हैं और वैश्विक स्थिरता चाहते हैं, तो रूस को साथ लेकर चलना होगा।
पुतिन का यह बयान ऐसे समय में आया है जब रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका और यूरोपीय देशों की कूटनीति तेज़ होती जा रही है। उन्होंने संकेत दिया कि रूस अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग नहीं पड़ेगा और शांति प्रयासों में उसकी भूमिका अनिवार्य है।
भारत ने दोनों मुद्दों पर संयमित और रणनीतिक रुख अपनाया है। एक ओर वह अमेरिका के साथ व्यापार सहयोग को मजबूत करने में लगा है, तो दूसरी ओर रूस के साथ ऐतिहासिक संबंधों को भी संतुलित बनाए रखता है। भारत वैश्विक राजनीति में “बैलेंस्ड पावर” की नीति पर चलता हुआ दोनों महाशक्तियों के साथ अपने संबंध बनाए रखने की रणनीति पर काम कर रहा है।