पहाेलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से संयम बरतने और संवाद बनाए रखने की अपील की है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत ने हमले के लिए सीधे तौर पर सीमा पार से सक्रिय आतंकी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया है।
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जम्मू-कश्मीर के पाहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद जहां भारत शोक और आक्रोश में डूबा हुआ है, वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी गूंज सुनाई दे रही है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र (UN) ने एक बयान जारी कर भारत और पाकिस्तान दोनों से संयम बरतने और कूटनीतिक बातचीत के रास्ते को अपनाने की अपील की है।
यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता ने कहा, “हम इस समय क्षेत्र में बढ़ते तनाव पर नजर बनाए हुए हैं। यह आवश्यक है कि दोनों पक्ष संयम रखें और स्थिति को और अधिक खराब न होने दें।” यह बयान तब आया है जब भारत ने इस हमले को सीमा पार से संचालित आतंकवाद का उदाहरण बताते हुए पाकिस्तान पर निशाना साधा है।
भारत सरकार ने इस हमले को राष्ट्रीय सुरक्षा पर सीधा हमला बताया है और यह स्पष्ट कर दिया है कि इस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। गृहमंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस विषय को उठाने की बात कही है। भारत का मानना है कि इस प्रकार के आतंकी हमले तब तक नहीं रुकेंगे जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता।
यूएन की ओर से यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता की मांग कर रहा है। साथ ही, भारत ने यह भी संकेत दिया है कि वह सीमा पर सुरक्षा और कूटनीतिक दबाव को एक साथ बढ़ा सकता है।
दूसरी ओर, पाकिस्तान ने इस हमले में अपनी संलिप्तता से इनकार किया है और कहा है कि यह भारत का आंतरिक मामला है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भी संयम की बात दोहराई है, लेकिन भारत की तरफ से लगातार यह मांग उठ रही है कि केवल बयानों से बात नहीं बनेगी – जमीनी कार्रवाई जरूरी है।
संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों को कूटनीतिक चैनलों को सक्रिय रखने की सलाह दी है ताकि किसी भी संभावित सैन्य टकराव से बचा जा सके। यूएन की यह मध्यस्थता भले ही प्रत्यक्ष नहीं हो, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस घटनाक्रम को बेहद गंभीरता से ले रहा है।
पाहलगाम हमले के बाद भारत में आम जनता से लेकर राजनीतिक दलों तक में जबरदस्त गुस्सा देखा गया है। सभी की एक ही मांग है – दोषियों को सख्त सजा और आतंकवाद के नेटवर्क को खत्म करना। संयुक्त राष्ट्र का यह बयान भले ही संतुलित हो, लेकिन यह स्पष्ट है कि अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भी अब आतंकवाद के प्रति अपने रवैये में बदलाव लाने पर मजबूर हो रही हैं।
भारत बार-बार यह कह चुका है कि “आतंकवाद और वार्ता साथ-साथ नहीं चल सकते।” ऐसे में भारत द्वारा अगले कदम क्या होंगे, इस पर सभी की निगाहें टिकी हैं। वहीं, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी अब अपने बयानों से आगे बढ़कर प्रभावी कार्रवाई की दिशा में सोचना होगा।