भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के चलते तुर्की एक बार फिर भारतीयों के निशाने पर आ गया है। सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey ट्रेंड कर रहा है, जिसमें यूजर्स तुर्की के खिलाफ नाराजगी जता रहे हैं। यह नाराजगी तुर्की की पाकिस्तान को समर्थन देने वाली नीतियों को लेकर है। भारत में तुर्की उत्पादों और पर्यटन को लेकर भी विरोध तेज हो गया है।
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भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार बढ़ते तनाव ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर गहरा असर डाला है। इसी बीच तुर्की (Turkey) की पाकिस्तान के प्रति समर्थन वाली नीति को लेकर भारत में नाराजगी बढ़ती जा रही है। सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey का ट्रेंड जोरों पर है, जहां आम नागरिक, राजनैतिक विश्लेषक और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स तुर्की के उत्पादों और पर्यटन को बायकॉट करने की मांग कर रहे हैं।
भारत में कई लोगों का मानना है कि तुर्की, पाकिस्तान के साथ खड़ा होकर आतंकवाद और भारत विरोधी गतिविधियों का अप्रत्यक्ष समर्थन करता है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन (Recep Tayyip Erdoğan) द्वारा जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दों पर पाकिस्तान का समर्थन करने वाले बयानों ने भारतीय जनमानस में असंतोष पैदा किया है।
ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर लाखों की संख्या में पोस्ट शेयर की जा रही हैं, जिनमें भारतीय नागरिक तुर्की के खिलाफ अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं। #BoycottTurkey के साथ लोग यह मांग कर रहे हैं कि भारत को तुर्की के साथ व्यापारिक और राजनयिक संबंधों की समीक्षा करनी चाहिए।
कुछ लोगों ने तुर्की में बन रहे उत्पादों जैसे कॉस्मेटिक्स, गारमेंट्स और इलेक्ट्रॉनिक्स को न खरीदने का संकल्प लिया है। इसके साथ ही भारतीय पर्यटकों से यह अपील भी की जा रही है कि वे तुर्की की यात्रा ना करें और घरेलू पर्यटन को प्राथमिकता दें।
भारत और तुर्की के बीच व्यापारिक संबंध वर्षों से चले आ रहे हैं। भारत, तुर्की को चाय, टेक्सटाइल, आईटी सर्विसेस और फार्मास्युटिकल्स जैसे कई क्षेत्रों में सामान निर्यात करता है। वहीं तुर्की से आयातित वस्तुओं में मुख्यतः मशीनरी, कैमिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स शामिल हैं। लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए इन व्यापारिक संबंधों पर संकट के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं।
भारत सरकार ने अभी तक तुर्की के खिलाफ कोई आधिकारिक व्यापारिक प्रतिबंध नहीं लगाया है, लेकिन जन भावना और सोशल मीडिया अभियान ने निश्चित तौर पर कंपनियों और ब्रांड्स पर दबाव बनाया है।
कूटनीतिक स्तर पर भारत पहले भी तुर्की को संकेत दे चुका है कि वह कश्मीर जैसे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप ना करे। तुर्की के बयानों को भारत ने पहले भी “अनुचित और तथ्यहीन” करार दिया था। अब जब पाकिस्तान के समर्थन में तुर्की एक बार फिर सामने आया है, तो यह स्थिति भारत के लिए अस्वीकार्य मानी जा रही है।
कुछ विश्लेषकों का यह भी मानना है कि भारत को अपने विदेश नीति के एजेंडे में बदलाव करते हुए तुर्की के साथ रणनीतिक दूरी बनानी चाहिए और मध्य-एशियाई देशों में अपनी उपस्थिति को और मजबूत करना चाहिए।