ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति शुभ-अशुभ योगों का निर्माण करती है।
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मुंबई। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति शुभ-अशुभ योगों का निर्माण करती है। जहां शुभ योग जातक के जीवन में कई बड़ी उपलब्धियों के कारण बनते हैं। वहीं अशुभ योग मनुष्य को राजा से रंक भी बना सकते हैं।
अशुभ योगों की श्रेणी में सबसे पहले हम बात करेंगे कालसर्प दोष के बारे में। यदि किसी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष होता है तो उसे आर्थिक, शारीरिक और मानसिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में राहु और केतु द्वारा निर्मित बुरे प्रभाव को कालसर्प दोष कहा जाता है। यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में राहु और केतु के बीच में ग्रह आ जाते हैं तो इस दोष को ही कालसर्प दोष कहा जाता है।
काल के नाम से राहु को दर्शाया जाता है
ज्योतिष शास्त्र में काल के नाम से राहु को दर्शाया जाता है, जिसका अर्थ मृत्यु होता है। जबकि सर्प को केतु का अधिदेवता कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र में राहु को सांप का मुख और केतु को सांप की पूंछ माना गया है। जिन जातक की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उनकी कुंडली से राहु और केतु अच्छे प्रभाव को नष्ट कर देते हैं।
कालसर्प दोष के उपाय