भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 16 नवंबर को कहा कि जनजातीय समुदाय हमारे देश का शौर्य है। उन्होंने कहा कि जनजातीय संस्कृति और धरोहर को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिलना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा, “जनजातीय संस्कृति का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान होना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा, “मैं जहां भी जाता हूँ, मंत्रमुग्ध हो जाता हूँ जनजाति की शैली, उनकी संस्कृति, उनका म्यूजिक, उनकी जनजातीय विशेषताएं, उनकी प्रतिभा, खेल हो चाहे कुछ भी हो।
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नई दिल्ली। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 16 नवंबर को कहा कि जनजातीय समुदाय हमारे देश का शौर्य है। उन्होंने कहा कि जनजातीय संस्कृति और धरोहर को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिलना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा, “जनजातीय संस्कृति का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान होना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा, “मैं जहां भी जाता हूँ, मंत्रमुग्ध हो जाता हूँ जनजाति की शैली, उनकी संस्कृति, उनका म्यूजिक, उनकी जनजातीय विशेषताएं, उनकी प्रतिभा, खेल हो चाहे कुछ भी हो।
वनवासी कल्याण आश्रम विद्यालय प्रांगण, उदयपुर में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सभा को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने सांस्कृतिक अखंडता पर मंडराने वाले खतरों के बारे में चेताया। उन्होंने कहा, “सुनियोजित तरीके से प्रलोभन देकर जनजातियों की आस्था को बदलने की कोशिश हो रही है। मैं इसे एक कुप्रयास मानता हूँ। चिकनी-चुपड़ी बातें करके, हमारा हितैषी बनकर, हमें लालच देकर, हमें लुभाकर, हमारी आस्था को बदलने की कोशिश हो रही है। हमारी सांस्कृतिक धरोहर हमारी नींव है। जब नींव हिल जाएगी तो कोई भी इमारत सुरक्षित नहीं है।
सुनियोजित तरीके से, षड्यंत्रकारी तरीके से, प्रलोभन देकर आकर्षण करने की प्रक्रिया जो मैं देख रहा हूँ देश में उस पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। जनजातीय वर्ग हमारे भारत का शौर्य है।” उप राष्ट्रपति ने भगवान बिरसा मुंडा के योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा, “भगवान बिरसा मुंडा जी ने देश की आज़ादी के लिए, जनजाति के लिए, मिट्टी के लिए जो किया वो अकल्पनीय है। वो वह व्यक्ति थे जिन्होंने हमें ये कहा ‘जल, जंगल, जमीन’—ये शब्द नहीं हैं ये जीवन शैली है।” उन्होंने बताया कि ये शिक्षाएं स्थायी जीवन और पर्यावरण के प्रति सम्मान का महत्व बताती हैं।
आदिवासी समुदाय वह है जो अपनी जरूरत से एक कण भी ज्यादा नहीं लेता। आदिवासी लोग हमें सिखाते हैं कि पर्यावरण क्या है, स्वदेशी जीवन क्या है, परिवार का क्या मतलब है और एक व्यक्ति का कर्तव्य क्या है।उप राष्ट्रपति ने कहा, “द्रौपदी मुर्मु का राष्ट्रपति पद पर आसीन होना जनजातीय गौरव का प्रतीक है।” उन्होंने इसे भारतीय लोकतंत्र की समावेशिता और विविधता का प्रतीक बताया। भारत के विकास पर चर्चा करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा, “अब भारत बदल गया है । आर्थिक दृष्टि से ऊंचा उठ रहा है। विकास की गंगा बह रही है।
दुनिया में नाम हो रहा है, क्योंकि अमृत काल में हमने अमृत को पहचाना है। हमने उनका सम्मान चालू कर दिया है और इसलिए प्रधानमंत्री की सोच 15 नवम्बर हर वर्ष बिरसा मुंडा जी की जन्म जंयती, राष्ट्रीय जनजातीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। मेरा आह्वान होगा आप सभी को, संकल्प लें, इन महापुरुष को समझें, इनके कृत्य को आदर्श माने और हमेशा राष्ट्रवाद को सर्वोपरि रखे।” उप राष्ट्रपति ने युवाओं से शिक्षा पर ध्यान देने का आह्वान करते हुए कहा, “मैं आपको यही कहूंगा, खास तौर से, बच्चे और बच्चियों को, आप शिक्षा पर ध्यान दें। आपके सामने कोई सीमा नहीं है।
आज के दिन भारत बदल रहा है। भारत में सही लोगों को स्थान मिल रहा है। हम सच्ची आज़ादी के शहीद को आज के दिन देख रहे हैं, उपयोग कर रहे हैं। ऊपर से चलिए, द्रौपदी जी राष्ट्रपति हैं, किसान का बेटा उपराष्ट्रपति है, अन्य पिछड़ा वर्ग का, माननीय नरेंद्र मोदी जी प्रधानमंत्री हैं और अपने कैबिनेट में कितना संतुलन किया है। आपको मैं बताना चाहता हूं जो भारत की अर्थव्यवस्था है, उसमें आपके विकास के लिए कोई पैसे की कमी नहीं है। ऐसे अवसर पर, हमारे जो बच्चे बच्चियां पढ़ रहे हैं, उनकी प्रतिभा है, जानकारी प्राप्त करो। हिंदुस्तान आपके द्वारा बदला जाएगा।
आज के दिन भारत अर्थव्यवस्था बना है पांचवें नंबर की दुनिया में, कभी कमज़ोर पांच में हुआ करता था। दो साल में भारत दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्ति होगा।” इस कार्यक्रम के मौके पर बाबूलाल खराड़ी, जनजातीय क्षेत्रीय विकास मंत्री, राजस्थान सरकार, हेमंत मीणा, माननीय मंत्री, राजस्व एवं उपनिवेश विभाग, राजस्थान सरकार, सत्येन्द्र सिंह खरवार, राष्ट्रीय अध्यक्ष, वनवासी कल्याण परिषद, भगवान सहाय, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री, वनवासी कल्याण आश्रम, थावरचंद डामोर, पूर्व एसपी और पूर्व कुलपति जनजातीय विश्वविद्यालय एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।