चंबल की शान कहे जाने वाले घड़ियाल अंडों से बाहर निकलकर नई दुनिया में कदम रख दिया है। नन्हे राजकुमार इस समय चंबल घाट की सैर कर रहे है। यह पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं, चंबल नदी पर भ्रमण के लिए आए पर्यटक भी इन्हें अपने कमरे में कैद कर रहे हैं,अभी कुछ समय पहले ही चंबल नदी में प्रजनन के बाद नन्हे घड़ियालों की एंट्री हुई है। अंडों से निकलने के बाद नदी के किनारे पर मां के साथ सैर करते दिखाई दिए। वहीं चंबल नदी में घड़ियाल का कुनबा बढ़ता जा रहा है। यह चंबल सेंचुरी के लिए एक अच्छी खबर है। जिससे पर्यटक भी अच्छी संख्या में इनको देखने पहुंच रहे है। इससे रोजगार के अवसर में भी बढोतरी होगी।
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चंबल नदी में नेस्टिंग समय पूरा होने पर घड़ियाल के अंडों से बच्चे बहार निकलना शुरू हो गए हैं, घड़ियाल अप्रैल-मई में अंडे देते हैं। एक मादा घडियाल 20 से 35 के बीच में अंडे देती हैं, जो कि चंबल के किनारे ही रेत में अंडों को दबा देती हैं।
2 महीने तक मादा घड़ियाल करती है बच्चों देखभाल
अंडों से घड़ियाल के बच्चे निकलने के बाद करीब 2 महीने तक घड़ियाल मादा अपने बच्चों की देख-रेख में रहते है, इस दौरान बच्चों को भोजन मुहैया कराती है, और सभी प्रकार की मदद करती है, 2 महीने तक बच्चों के इर्द गिर्द ही घूमती रहती है, सेल्फ डिफेंस होने के बाद बच्चों से दूर हो जाती है।
घड़ियाल प्रजाति का बढ़ रहा दिनों-दिन कुनबा
इस समय चंबल नदी में मौजूदा वक्त में लगभग ढाई हजार घड़ियाल प्रजाति का कुनबा है, इसके अलावा करीब 1000 मगरमच्छ और एक दर्जन डॉल्फिन मौजूद हैं, चंबल नदी का पानी जलीय जीवों के अनुकूल होने की वजह से हर प्रजाति के जलीय जीवों की बंश वृद्धि हो रही है, चंबल नदी सबसे स्वच्छ और साफ होने की वजह से जलीय जीवों की जान के लिए खतरा नहीं रहता है।