बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने जाति जनगणना को लेकर बड़ा दावा करते हुए कहा कि यह निर्णय समाजवादी आंदोलन और लालू प्रसाद यादव की विचारधारा की जीत है। उन्होंने कहा कि यह जनगणना सामाजिक न्याय की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। तेजस्वी ने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा कि वह इस मुद्दे पर केवल टालमटोल करती रही है।
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बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर सियासी हलचल तेज है और इसी बीच तेजस्वी यादव ने इसे समाजवादी विचारधारा और लालू प्रसाद यादव की ऐतिहासिक जीत करार दिया है। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि यह जनगणना केवल आंकड़े इकट्ठा करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह सामाजिक न्याय, समानता, और हाशिए पर खड़े समुदायों को पहचान देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
तेजस्वी यादव ने कहा कि “लालू जी जब मुख्यमंत्री बने थे तब से ही वो ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ की बात करते आए हैं। आज वह विचार साकार हो रहा है। यह उन करोड़ों लोगों की जीत है जिन्हें दशकों से हाशिए पर रखा गया।”
तेजस्वी ने कहा कि बिहार ने जो साहसिक कदम उठाया है, वही काम केंद्र सरकार वर्षों से टालती रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जातिगत जनगणना जैसे मुद्दे पर भाजपा केवल वोटबैंक की राजनीति करती है लेकिन सामाजिक न्याय के प्रति उसकी कोई प्रतिबद्धता नहीं है।
तेजस्वी ने यह भी कहा कि बिहार सरकार ने जिस पारदर्शिता और समर्पण के साथ यह काम किया है, वह दूसरे राज्यों के लिए मिसाल है। उन्होंने केंद्र से मांग की कि अब इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जाए ताकि देश में वास्तविक समानता आ सके।
तेजस्वी यादव ने कहा कि जाति आधारित आंकड़े न केवल आरक्षण की समीक्षा में सहायक होंगे, बल्कि इससे यह भी समझने में मदद मिलेगी कि कौन से वर्ग अभी भी विकास की दौड़ में पीछे हैं। उन्होंने कहा, “जब तक समाज के सभी तबकों को उचित भागीदारी नहीं मिलेगी, तब तक भारत सशक्त नहीं हो सकता। यह केवल बिहार का नहीं, पूरे भारत का मुद्दा है।”
उन्होंने सुझाव दिया कि इस जनगणना के आधार पर नीतियों का पुनर्निर्माण होना चाहिए ताकि योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंचे।
तेजस्वी ने अन्य विपक्षी दलों से भी अपील की कि वे जातिगत जनगणना को लेकर एकजुट हों। उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष इस मुद्दे पर एक सुर में बोले, तो केंद्र सरकार पर दबाव बनेगा और वह इस दिशा में कदम उठाने को मजबूर होगी।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि समाजवादियों की यह जीत, केवल एक राज्य में नहीं रुकेगी, बल्कि यह एक राष्ट्रीय विमर्श का रूप लेगी और इससे पूरे देश में सामाजिक समानता की लहर उठेगी।