Supreme Court ने Waqf Law को लेकर अहम सुनवाई करते हुए सरकार और वक्फ बोर्ड से स्पष्टीकरण मांगा है। कोर्ट ने पूछा कि क्या सार्वजनिक या सरकारी ज़मीनों को बिना किसी दस्तावेज़ के वक्फ संपत्ति घोषित किया जा सकता है? यह मामला अब देशभर में चर्चा का विषय बन गया है।
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नई दिल्ली – वक्फ एक्ट (Waqf Law) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक अहम सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने सवाल उठाए कि क्या वक्फ बोर्ड को बिना किसी कानूनी दस्तावेज़ या अधिग्रहण प्रक्रिया के किसी भी सरकारी ज़मीन पर दावा करने का अधिकार है? यह सुनवाई अब धार्मिक संपत्ति, सरकारी नियंत्रण और कानूनी अधिकारों के संदर्भ में एक बड़ी बहस की शुरुआत मानी जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा:
“सिर्फ यह कहना कि यह ज़मीन वक्फ की है, पर्याप्त नहीं है। क्या उसके पास स्वामित्व या उपयोग का कोई वैध दस्तावेज़ है?”
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और वक्फ बोर्ड से इस संबंध में विस्तृत जवाब मांगा जाएगा।
वक्फ कानून के अंतर्गत देशभर में लाखों एकड़ ज़मीन वक्फ बोर्ड के अधीन बताई जाती है। परंतु हाल ही में कुछ मामलों में यह सामने आया है कि कई ज़मीनों पर बिना उचित दस्तावेज़ी प्रमाण के भी वक्फ बोर्ड ने दावा किया है — खासकर सरकारी ज़मीनों और सार्वजनिक संपत्तियों पर।
उदाहरण के तौर पर, कुछ राज्यों में अस्पताल, स्कूल, और रेलवे की ज़मीनों को भी वक्फ घोषित करने की कोशिश की गई, जिससे स्थानीय प्रशासन और आम जनता के बीच विवाद उत्पन्न हो गया।
भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं।
भाजपा नेता ने कहा:
“सरकारी ज़मीनों पर ऐसे दावे करना देश की सम्प्रभुता पर चोट है।”
वहीं AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा:
“Waqf संपत्तियां मुसलमानों की धार्मिक और सामाजिक विरासत हैं, और इसे राजनीति का मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए।”
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Waqf Act, 1995 के अनुसार, वक्फ संपत्ति ऐसी संपत्ति होती है जिसे धार्मिक या परोपकारी उद्देश्य के लिए समर्पित किया गया हो। इसमें मस्जिद, दरगाह, कब्रिस्तान जैसी संपत्तियां शामिल होती हैं। वक्फ बोर्ड का दायित्व है कि वह इन संपत्तियों की देखरेख और रख-रखाव करे।
परंतु कोर्ट ने पूछा, क्या बिना स्वामित्व के प्रमाण या सरकारी दस्तावेज़ के कोई ज़मीन वक्फ घोषित की जा सकती है?
आम नागरिकों में भी इस मुद्दे को लेकर भ्रम और चिंता है। कई लोगों ने शिकायत की है कि उनके प्लॉट या घरों की जमीन पर वक्फ बोर्ड ने दावा किया है, जिससे न तो वे निर्माण कर पा रहे हैं और न ही बेच पा रहे हैं।
एक पीड़ित नागरिक ने कहा:
“मेरी ज़मीन का मालिकाना हक मेरे पास है, लेकिन अब वक्फ बोर्ड दावा कर रहा है कि ये उनकी संपत्ति है।”
वक्फ संपत्तियों पर विवाद बढ़ रहे हैं
सरकार और नागरिकों के बीच संपत्ति अधिकारों को लेकर भ्रम है
सुप्रीम कोर्ट का दखल इस विवाद को कानूनी दिशा देगा
कुछ राजनीतिक दल इस पर धर्म आधारित राजनीति का आरोप लगा रहे हैं
सुप्रीम कोर्ट ने सभी संबंधित पक्षों को 4 हफ्तों में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद अगली सुनवाई तय की जाएगी। अगर कोर्ट इस पर बड़ा फैसला सुनाता है तो यह वक्फ कानून की व्याख्या और क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।