BJP सांसद Nishikant Dubey के Supreme Court को लेकर दिए गए बयान पर मौलाना साजिद रशीद ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे लोकतंत्र और संविधान के मूल ढांचे पर हमला बताया। मौलाना ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल उठाना बेहद चिंताजनक है और नेताओं को संयम बरतना चाहिए।
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भारतीय राजनीति में न्यायपालिका की भूमिका को लेकर बहस कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाल ही में बीजेपी सांसद Nishikant Dubey द्वारा सुप्रीम कोर्ट को लेकर दिए गए बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। इस पर मौलाना साजिद रशीद की प्रतिक्रिया सामने आई है, जिन्होंने इस बयान को लोकतंत्र पर सीधा हमला बताया है।
BJP सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली और उसके कुछ फैसलों पर सवाल उठाते हुए यह टिप्पणी की थी कि “न्यायपालिका कभी-कभी सरकार के कामकाज में अनावश्यक हस्तक्षेप करती है।” उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट को खुद को “मर्यादा” में रखना चाहिए।
यह बयान आते ही Supreme Court, judicial independence, BJP leader comment, judiciary vs government जैसे मुद्दे एक बार फिर चर्चा में आ गए।
ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीद ने Dubey के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि, “जब कोई नेता न्यायपालिका पर टिप्पणी करता है तो यह लोकतंत्र के चार स्तंभों में संतुलन को तोड़ने की कोशिश होती है।”
उन्होंने यह भी कहा कि “देश की सर्वोच्च अदालत को निशाना बनाना, संविधान के मूल ढांचे और जनता के भरोसे को तोड़ना है।” साजिद रशीद ने साफ कहा कि नेताओं को बयान देने से पहले इसकी संवैधानिक गंभीरता को समझना चाहिए।
भारत में judicial independence, constitutional democracy, freedom of judiciary जैसे विषयों पर लगातार चर्चा होती रही है। मौलाना रशीद ने कहा कि जब नेता इस प्रकार के बयान देते हैं तो यह जनता में न्याय व्यवस्था के प्रति अविश्वास पैदा करता है।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि “क्या अब सुप्रीम कोर्ट भी सत्ता के इशारे पर काम करेगा?” इस तरह की टिप्पणियों से संविधान के अनुच्छेद 50 में उल्लिखित न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर असर पड़ता है।
BJP की तरफ से अब तक Dubey के बयान पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विपक्षी दलों ने इसे लोकतंत्र की मर्यादा के खिलाफ बताया है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने कहा कि “सत्ता पक्ष जब भी कोर्ट के फैसले से असहमत होता है, तब इस तरह की बयानबाजी की जाती है।”
सोशल मीडिया पर भी Dubey के बयान को लेकर बहस छिड़ गई है। ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब पर हजारों लोगों ने इस मुद्दे पर अपनी राय दी है। कई लोगों ने इसे “न्यायपालिका का अपमान” करार दिया है।
मौलाना रशीद के समर्थन में भी कई लोग सामने आए और कहा कि “नेताओं को अपनी सीमाओं का सम्मान करना चाहिए।”
BJP सांसद Nishikant Dubey द्वारा सुप्रीम कोर्ट को लेकर दिए गए बयान ने देश में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। मौलाना साजिद रशीद की प्रतिक्रिया ने इस मामले को और अधिक संवेदनशील बना दिया है। ऐसे में यह जरूरी है कि सभी राजनीतिक दल और नेता संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान करें और लोकतंत्र के चार स्तंभों की गरिमा बनाए रखें।