अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर काफी उत्साह है। पूरा वातावरण राममय हो गया है। पूरे विधि-विधान से गुरुवार को राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की नई प्रतिमा विराजित कर दी गई। इसे अभी दर्शन के लिए खोला नहीं जाएगा। 22 जनवरी को प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हो जाने के बाद ही दिव्य और विराट मूर्ति के दर्शन हो सकेंगे।
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अयोध्या। अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर काफी उत्साह है। पूरा वातावरण राममय हो गया है। पूरे विधि-विधान से गुरुवार को राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की नई प्रतिमा विराजित कर दी गई। इसे अभी दर्शन के लिए खोला नहीं जाएगा। 22 जनवरी को प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हो जाने के बाद ही दिव्य और विराट मूर्ति के दर्शन हो सकेंगे।
कल देर शाम प्रतिमा मंदिर परिसर लाई गई थी। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का विधिवत कर्मकांड गुरुवार को गणेश पूजन के साथ शुरू हो गया है। शुभ मुहूर्त में दोपहर 1:20 बजे गणेश पूजन के साथ प्राण प्रतिष्ठा के पूजन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। वहीं बुधवार को रामजन्मभूमि परिसर पहुंचे रामलला को अपने आसन पर विराजमान कर दिया गया है।
गर्भगृह में कमल की आकृति वाले संगमरमर के सिंहासन पर रामलला की अचल मूर्ति को वैदिक आचार्यों ने विधिविधान पूर्वक विराजित कर दिया है। पूजन के क्रम में सबसे पहले गणेश अंबिका पूजन फिर वरुणपूजन, चतुर्वेदोक्त पुण्याहवाचन, मातृकापूजन, वसोर्धारापूजन (सप्त घृत मातृका पूजन) हुआ। रामलला की अचल मूर्ति का जलाधि वास, गंधाधिवास कराया गया है। शाम को पहली बार अचल मूर्ति की आरती भी वैदिक आचार्यों ने उतारी है। मुख्य यजमान डॉ़. अनिल मिश्र ने पहले दिन की पूजन प्रक्रिया संपन्न कराई।