अमित शाह के बयान एक बयान ने सियासत का तापमान बढ़ा दिया है...कांग्रेस और सपा लगातार इस बयान का जिक्र कर बाजेपी का घेराव कर रही है...विपक्षी पार्टीयां सड़क से लेकर सदन तक इस मामले को उठाने से पपहल् गुरेज मही कर रही है...इस बयान को दिए हुइ 5 दिन बीत चले है लेकिन पांचवे दिन भी इस बयान पर सियासत जारी है और अब कांग्रेस ने प्रेस कांन्फ्रेस कर निशाना साधा है...वही बीजेपी ने भी इस मामले पर पलटवार किया है..
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नई दिल्ली। अमित शाह के बयान एक बयान ने सियासत का तापमान बढ़ा दिया है…कांग्रेस और सपा लगातार इस बयान का जिक्र कर बाजेपी का घेराव कर रही है…विपक्षी पार्टीयां सड़क से लेकर सदन तक इस मामले को उठाने से पपहल् गुरेज मही कर रही है…इस बयान को दिए हुइ 5 दिन बीत चले है लेकिन पांचवे दिन भी इस बयान पर सियासत जारी है और अब कांग्रेस ने प्रेस कांन्फ्रेस कर निशाना साधा है…वही बीजेपी ने भी इस मामले पर पलटवार किया है..
तो लगातार गृहमंत्री के इस बयान की आलोचना की जा रही है..दूसरी तरफ बीजेपी का कहना हे की अमित शाह के बयान के साथ छेड़छाड़ की गई…दरअसल अमित शाह ने संसद में संविधान पर चर्चा के दौरान कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि वह केवल आंबेडकर का नाम लेना फैशन बन गया है….शाह के भाषण के पहले हिस्से की क्लिप अगले दिन विपक्ष ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए उसे डॉक्टर आंबेडकर के लिए अपमानजनक बताया और गृह मंत्री से इस्तीफ़े की माँग की….
इन सब के टाईमलाईन पर अगर प गोर करे तो देखिए… मिल्कीपुर में उपचुनाव होना है साथ ही 27 में चुनाव भी होना है ऐसे में विपक्ष ने इसे बड़े मुद्दे के तौर पर उठाया है…तो क्या बीजेपी इस बयान के बाद बैकफ़ुट पर आ गई है? क्या लोकसभा चुनाव में संविधान परिवर्तन के मुद्दे पर जैसे भाजपा को नुक़सान की बात कही गई, वैसे ही अब फिर चुनाव में इसे मुद्दा बनाने की तैयारी है? क्या जितनी तेज़ी से प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दे पर ट्वीट किए और गृह मंत्री अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके सफ़ाई दी वो ये दिखाता है कि पार्टी कोई चांस नहीं लेना चाहती?