केरल दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस सांसद शशि थरूर एक ही मंच पर नजर आए। थरूर ने मंच से हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि इस तस्वीर से कई लोगों की नींद उड़ सकती है। यह साझा मंच राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है, जिससे कई संभावनाओं को लेकर अटकलें शुरू हो गई हैं।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केरल दौरे के दौरान एक अप्रत्याशित नज़ारा देखने को मिला, जब कांग्रेस सांसद शशि थरूर उनके साथ मंच साझा करते नजर आए। यह दृश्य न केवल जनता के लिए चौंकाने वाला था, बल्कि राजनीतिक विश्लेषकों के लिए भी सोचने का विषय बन गया। इस साझा मंच पर थरूर ने मुस्कराते हुए कहा, “हम दोनों एक साथ मंच पर आए हैं, अब कई लोगों की नींद नहीं आएगी।” इस हल्के व्यंग्य ने दर्शकों को हंसी में डुबो दिया, लेकिन इसके राजनीतिक मायने गहरे हैं।
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने केरल के विकास को लेकर कई योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत को विकास के पथ पर और तेज़ी से आगे बढ़ाना केंद्र सरकार की प्राथमिकता है। वहीं, शशि थरूर ने भी इस पहल की सराहना की और केरल के विकास में सभी दलों की साझा भूमिका पर बल दिया।
शशि थरूर की उपस्थिति यह संकेत दे रही थी कि जब बात जनता और विकास की हो, तो राजनीतिक मतभेदों को पीछे रखा जा सकता है। उन्होंने कहा, “हम राजनीतिक रूप से अलग हो सकते हैं, लेकिन जब मुद्दा केरल के हित का हो, तो हम एक साथ आ सकते हैं।” थरूर का यह बयान कांग्रेस नेतृत्व से भले ही मेल न खाए, लेकिन उनके संसदीय क्षेत्र तिरुवनंतपुरम में उन्हें जनता का बड़ा समर्थन प्राप्त है।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी बिना किसी राजनीतिक टिप्पणी के थरूर की उपस्थिति का सम्मान किया और उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। यह दृश्य ऐसे समय में देखने को मिला है जब आम तौर पर राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहता है। इस तरह की राजनीतिक परिपक्वता का उदाहरण विरले ही देखने को मिलता है।
जैसे ही यह तस्वीर और वीडियो सामने आए, सोशल मीडिया पर बहस शुरू हो गई। कई लोग इसे सकारात्मक राजनीति की मिसाल बता रहे हैं, तो कुछ इसे संभावित गठजोड़ के संकेत के तौर पर देख रहे हैं। ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब पर “Modi-Tharoor” ट्रेंड करने लगा और कई यूज़र्स ने मीम्स और विश्लेषण साझा किए।
कई राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह केवल एक शिष्टाचार था, लेकिन दक्षिण भारत में भाजपा की पैठ बनाने के लिए शशि थरूर जैसे व्यक्तित्व की ज़रूरत महसूस की जा रही है। हालांकि थरूर ने अभी तक किसी राजनीतिक बदलाव के संकेत नहीं दिए हैं, लेकिन जनता और मीडिया दोनों ही इस घटना को हल्के में नहीं ले रहे।
इस साझा मंच के कई संभावित असर हो सकते हैं। एक ओर यह कांग्रेस पार्टी के भीतर असंतोष को जन्म दे सकता है, वहीं दूसरी ओर इससे यह संदेश जा सकता है कि भाजपा राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार कर विकास को प्राथमिकता देने को तैयार है।
भविष्य में यह देखा जाना बाकी है कि यह केवल एक औपचारिक मंच साझा करना था या कोई दीर्घकालिक राजनीतिक रणनीति की शुरुआत। लेकिन इतना तय है कि यह तस्वीर 2024 के बाद के राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकती है।