प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक महत्वपूर्ण उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक की अध्यक्षता की जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुख शामिल हुए। इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा, सीमा पर हालात, आतंकी गतिविधियों पर रणनीति और भविष्य की सैन्य तैयारियों पर गंभीर चर्चा हुई। सरकार ने सुरक्षा मामलों पर तेज़ और ठोस निर्णय लेने का संकेत दिया है।
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नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज एक बेहद महत्वपूर्ण सुरक्षा बैठक आयोजित की गई, जिसमें देश की सुरक्षा नीति और रणनीतियों पर गंभीर मंथन हुआ। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल, CDS जनरल अनिल चौहान, थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी, और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी उपस्थित रहे।
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब देश कई आंतरिक और बाहरी सुरक्षा चुनौतियों से जूझ रहा है — चाहे वह जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाएं हों या चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर तनाव। बैठक में इन सभी मुद्दों पर व्यापक विचार-विमर्श किया गया।
बैठक में भारत-चीन सीमा विवाद, एलओसी पर पाकिस्तानी घुसपैठ, और जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए आतंकी हमलों पर विशेष ध्यान दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने सेनाओं को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि “राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं होगा।” उन्होंने आंतरिक सुरक्षा एजेंसियों को और अधिक समन्वय के साथ कार्य करने के निर्देश दिए।
बैठक में आतंकवाद से निपटने के लिए नई रणनीति, ड्रोन हमलों की रोकथाम, और साइबर सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने जैसे विषयों पर भी चर्चा की गई।
बैठक में भारतीय सेना की युद्धक क्षमता और आधुनिकीकरण परियोजनाओं की समीक्षा की गई। प्रधानमंत्री ने स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने पर बल दिया और Make in India अभियान के तहत रक्षा उपकरणों के निर्माण को प्राथमिकता देने को कहा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की सेनाएं पूरी तरह तैयार हैं और किसी भी प्रकार की चुनौती से निपटने में सक्षम हैं। वहीं, NSA अजीत डोभाल ने खुफिया सूचनाओं के बेहतर आदान-प्रदान और सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय पर जोर दिया।
बैठक के दौरान भविष्य की रणनीतियों पर भी चर्चा हुई, जिसमें हाईब्रिड वॉरफेयर, इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर, और काउंटर टेररिज्म ऑपरेशन्स को प्राथमिकता दी गई। प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया कि हर स्तर पर सतर्कता बनाए रखी जाए और देश की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
प्रधानमंत्री की यह बैठक इस बात का स्पष्ट संकेत है कि सरकार सुरक्षा मामलों पर कोई ढील नहीं देना चाहती। चाहे आतंरिक खतरे हों या बाहरी, भारत हर मोर्चे पर सजग और सक्रिय है। ऐसे समय में जब दुनिया में भू-राजनीतिक तनाव तेजी से बढ़ रहे हैं, भारत अपने रणनीतिक हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है।