प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हालात की गंभीरता को देखते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, एनएसए अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ एक आपातकालीन उच्चस्तरीय बैठक की। बैठक में आतंकी गतिविधियों पर कड़ा रुख अपनाने और सीमावर्ती सुरक्षा को और मजबूत करने का निर्णय लिया गया। यह मीटिंग राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से बेहद अहम मानी जा रही है।
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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद देश की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार पूरी तरह सतर्क हो गई है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को एक आपातकालीन उच्चस्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक बुलाई। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) और तीनों सेनाओं के प्रमुख शामिल हुए।
बैठक में आतंकवाद से निपटने की रणनीति, सीमा सुरक्षा की समीक्षा, खुफिया तंत्र की मजबूती और सुरक्षा बलों की तैनाती जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने साफ किया कि देश की संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने सभी एजेंसियों को निर्देश दिया कि वे किसी भी हाल में आतंकियों और उनके मददगारों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करें।
बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति हमेशा से स्पष्ट रही है — “जीरो टॉलरेंस”। उन्होंने खुफिया एजेंसियों को निर्देशित किया कि देश के भीतर और सीमावर्ती इलाकों में आतंकियों की हर हरकत पर पैनी नजर रखी जाए। इसके साथ ही आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने के लिए सामंजस्यपूर्ण और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित किया गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने सीमावर्ती सुरक्षा को और बेहतर बनाने के लिए तकनीकी संसाधनों के इस्तेमाल, ड्रोन निगरानी, और उन्नत रडार सिस्टम को तेजी से लागू करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि सीमाओं पर तैनात जवानों की सुरक्षा और उनकी सुविधाओं में किसी भी तरह की कमी नहीं होनी चाहिए।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक में सुरक्षा बलों की तत्परता की जानकारी दी और कहा कि सभी जवान युद्धस्तर पर तैयार हैं। NSA अजीत डोभाल ने आतंकी नेटवर्क, सीमा पार से फंडिंग, और इन समूहों को मिलने वाले स्थानीय सहयोग पर प्रस्तुति दी। अजीत डोभाल ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर भारत की निगरानी लगातार बनी हुई है।
तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा की ताजा स्थिति और उनकी तैयारियों की जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि जरूरत पड़ने पर सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाइयों के लिए भी फोर्स पूरी तरह तैयार है।
बैठक के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से बयान जारी कर कहा गया कि देश की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है, और सरकार अपने नागरिकों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगी। साथ ही, देशवासियों से भी सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत प्रशासन को देने की अपील की गई।