प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर आज एक महत्वपूर्ण उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) और थल, जल, वायुसेना के प्रमुख मौजूद रहे। बैठक में देश की सुरक्षा स्थिति, आतंकवाद के खतरे और सीमा पार गतिविधियों पर चर्चा की गई। सरकार ने कड़े फैसलों का संकेत देते हुए सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट पर रखा है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने नयी दिल्ली स्थित आवास पर एक महत्वपूर्ण उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक बुलाई, जिसमें CDS जनरल अनिल चौहान, थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार, और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने हिस्सा लिया। यह बैठक ऐसे समय पर हुई है जब देश के अलग-अलग हिस्सों में आतंकी गतिविधियों और सीमा पार से खतरे की आशंका बढ़ गई है।
बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सभी अहम पहलुओं पर चर्चा हुई, जिसमें जम्मू-कश्मीर की स्थिति, पूर्वोत्तर राज्यों में असामाजिक तत्वों की गतिविधियाँ, और पड़ोसी देशों की चालबाज़ियाँ शामिल रहीं। PM मोदी ने सभी सुरक्षा प्रमुखों से जमीनी हालात की जानकारी ली और आवश्यकता पड़ने पर त्वरित और निर्णायक कार्रवाई के निर्देश दिए।
बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने दो टूक कहा कि देश की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। आतंकवाद और सीमापार घुसपैठ पर ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति अपनाई जाएगी। सभी सुरक्षा बलों को अलर्ट पर रखा गया है और संवेदनशील क्षेत्रों में निगरानी बढ़ाने का आदेश भी दिया गया।
सरकार इस समय आंतरिक और बाहरी सुरक्षा चुनौतियों का विश्लेषण कर रही है और उन पर रणनीतिक प्रतिक्रिया तैयार की जा रही है। बैठक में यह भी तय किया गया कि इंटेलिजेंस एजेंसियों के साथ समन्वय बढ़ाया जाएगा ताकि किसी भी तरह के खतरे को समय रहते निष्क्रिय किया जा सके।
बैठक में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर भी चर्चा की गई। प्रधानमंत्री मोदी ने रक्षा उत्पादन में ‘मेक इन इंडिया’ को और बढ़ावा देने की बात की, जिससे देश को आयात पर निर्भर न रहना पड़े और भारत की सेनाएं आधुनिक और सशक्त बनें।
रक्षा उपकरणों के निर्माण, नई तकनीक के उपयोग, और साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता देने का सुझाव भी इस बैठक में सामने आया। यह स्पष्ट संकेत है कि केंद्र सरकार अब केवल परंपरागत सुरक्षा पर नहीं, बल्कि आधुनिक युद्ध तकनीकों पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है।
PM मोदी ने इस मौके पर तीनों सेनाओं के बीच इंटरऑपरेबिलिटी यानी आपसी समन्वय को भी जरूरी बताया। युद्ध या आपात स्थिति में तेजी से प्रतिक्रिया के लिए यह जरूरी है कि सभी सेनाएं मिलकर एक रणनीति के तहत कार्य करें। रक्षा मंत्रालय ने इस दिशा में कई कदम उठाने की बात कही है और एक जॉइंट कमांड स्ट्रक्चर विकसित करने पर भी विचार हो रहा है।