जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा बलों को ‘पूर्ण अभियानिक स्वतंत्रता’ देने का निर्णय लिया है। सूत्रों के मुताबिक, पीएम ने कहा है कि देश की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा और जवाब अब ‘मज़बूत’ और ‘निर्णायक’ होगा। केंद्र सरकार आतंकी नेटवर्क को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए रणनीतिक स्तर पर बड़े कदम उठाने की तैयारी में है।
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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को एक बार फिर झकझोर कर रख दिया है। इस हमले में कई निर्दोष नागरिकों की जान चली गई, जिससे पूरे देश में शोक और आक्रोश की लहर फैल गई है। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा बलों को ‘पूर्ण अभियानिक स्वतंत्रता‘ प्रदान कर दी है। इसका मतलब साफ है—अब सुरक्षा एजेंसियां जवाब देने के लिए किसी आदेश की प्रतीक्षा नहीं करेंगी।
सूत्रों के मुताबिक, पीएम मोदी ने साफ निर्देश दिए हैं कि आतंकवाद के खिलाफ यह लड़ाई कोई दिखावा नहीं, बल्कि निर्णायक युद्ध होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों को अब स्वतंत्र रूप से काम करने की छूट दी गई है, ताकि इस प्रकार की घटनाओं का सख्ती से मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।
प्रधानमंत्री मोदी ने गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और सेना प्रमुखों के साथ एक हाई लेवल बैठक की। इस बैठक में आतंकियों की लोकेशन, संभावित नेटवर्क और स्थानीय सहयोगियों पर चर्चा की गई। इसके बाद पीएम मोदी ने कहा, “अब समय आ गया है कि हम जवाब दें, और वो भी उसी भाषा में।”
उन्होंने कहा कि आतंकियों को सुरक्षित पनाह देने वालों पर भी कार्रवाई की जाएगी। चाहे वो घाटी के भीतर हों या सीमा पार, हर जिम्मेदार को जवाबदेह बनाया जाएगा।
पीएम के आदेश के बाद जम्मू-कश्मीर में तैनात सभी सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। NIA, RAW और IB जैसी खुफिया एजेंसियां पूरी सक्रियता के साथ स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकी गतिविधियों की निगरानी कर रही हैं। एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अतिरिक्त निगरानी और सर्च ऑपरेशन्स तेज कर दिए गए हैं।
सूत्रों ने यह भी बताया है कि अब सीमा पार आतंकी ठिकानों को भी निशाना बनाया जा सकता है, जैसा कि सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक में पहले किया जा चुका है।
पीएम मोदी के इस सख्त रुख का राजनीतिक दलों और सेना दोनों ने समर्थन किया है। विपक्षी दलों ने कहा कि इस तरह के संकट के समय देश को एकजुट रहना चाहिए। वहीं सेना ने भी कहा कि ‘ऑपरेशनल फ्रीडम’ से कार्यवाही और सटीक, और प्रभावी हो सकेगी।
इस फैसले से एक ओर जहां पीड़ित परिवारों को न्याय की उम्मीद जगी है, वहीं देश के नागरिकों में यह संदेश गया है कि सरकार आतंकी घटनाओं पर चुप बैठने वाली नहीं है। यह निर्णय राजनीतिक इच्छाशक्ति और सुरक्षा प्राथमिकता दोनों को दर्शाता है।