पहलगाम आतंकी हमले के बाद मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की स्पीच ने सियासी हलचल मचा दी है। विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने उनके बयान को गैर-जिम्मेदाराना बताया और सरकार से आतंक के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग की। शर्मा ने कहा कि इस समय राजनीतिक बयानबाजी नहीं, बल्कि एकजुट होकर कार्रवाई की ज़रूरत है।
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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले के बाद प्रदेश की राजनीति में उबाल आ गया है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के बयान ने जहां कई सवाल खड़े किए, वहीं विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने उनकी स्पीच पर तीखा पलटवार किया है। सुनील शर्मा ने उमर अब्दुल्ला के बयान को “गैर-जिम्मेदाराना और दुर्भाग्यपूर्ण” करार देते हुए कहा कि इस समय राज्य को एकजुटता की जरूरत है, न कि राजनीतिक मतभेद फैलाने की।
सुनील शर्मा ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “जब पूरा देश शोक में डूबा है और पीड़ित परिवार न्याय की मांग कर रहे हैं, उस समय नेताओं को जिम्मेदारी का परिचय देना चाहिए।” उन्होंने आरोप लगाया कि उमर अब्दुल्ला का बयान न केवल शहीदों का अपमान है, बल्कि आतंकियों का मनोबल बढ़ाने का काम भी कर सकता है।
सुनील शर्मा ने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर में शांति बहाल करने के लिए सभी राजनीतिक दलों को राजनीतिक मतभेद भुलाकर एक साथ खड़ा होना चाहिए। उन्होंने उमर अब्दुल्ला से अपील की कि वे जनता में गलत संदेश न फैलाएं और सरकार के साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग करें।
उन्होंने कहा, “यह समय आलोचना करने का नहीं, बल्कि ठोस कदम उठाने का है। आतंकवाद को समाप्त करने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति की आवश्यकता है और इसमें सभी दलों को केंद्र सरकार का समर्थन करना चाहिए।“
विपक्ष के नेता ने गृहमंत्री अमित शाह द्वारा लिए गए त्वरित फैसलों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस हमले को बहुत गंभीरता से ले रही है और आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। सुनील शर्मा ने भरोसा जताया कि जल्द ही इस हमले के दोषियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जाएगा।
सुनील शर्मा ने कहा, “यह सरकार आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है। हमें यकीन है कि जल्द ही आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब मिलेगा और कश्मीर में शांति बहाल होगी।“
सुनील शर्मा ने उमर अब्दुल्ला को सलाह दी कि वे सार्वजनिक मंचों से ऐसे बयान देने से बचें जो जनता में भ्रम फैलाएं या आतंकी गतिविधियों को बल दें। उन्होंने कहा कि नेताओं को अपने शब्दों की गंभीरता को समझना चाहिए और इस संकट के समय जनता को भरोसा दिलाने की कोशिश करनी चाहिए, न कि अस्थिरता फैलाने की।