जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का एक वीडियो सामने आया है, जिसने देश को झकझोर कर रख दिया है। इस वीडियो में आतंकियों की बर्बरता और हमले के बाद मचे अफरा-तफरी के दृश्य कैद हैं। वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे आमजन और प्रशासन में आक्रोश की लहर दौड़ गई है।
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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की दिल दहला देने वाली तस्वीरें अब दुनिया के सामने हैं। एक वीडियो क्लिप वायरल हो रही है जिसमें आतंकियों द्वारा किए गए हमले की प्रत्यक्ष झलक देखी जा सकती है। इस वीडियो में गोलियों की आवाजें, चीख-पुकार और खून से सने दृश्य हैं, जो किसी भी इंसान को अंदर से झकझोर कर रख दें।
हमले के वक्त पर्यटक बसों में यात्रा कर रहे थे और हमला इतनी तेजी से और सुनियोजित तरीके से हुआ कि किसी को संभलने का मौका नहीं मिला। वीडियो में साफ दिख रहा है कि कैसे आतंकियों ने सड़क पर बम और गोलियों की बौछार कर दी, जिससे बसों में बैठे पर्यटकों में अफरा-तफरी मच गई। कुछ लोग भागने की कोशिश कर रहे थे, तो कुछ गोलियों की चपेट में आ गए।
जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया, वैसे ही जनता और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं आने लगीं। कई लोगों ने इसे दहशत फैलाने की साजिश करार दिया, वहीं कुछ ने इसे सुरक्षा व्यवस्था की चूक का प्रमाण बताया। वीडियो में दर्ज हर सेकेंड सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक सवाल खड़ा कर रहा है—कि आतंकवादी इतना बड़ा हमला कैसे कर पाए?
इस भयावह दृश्य को देखने के बाद देश भर में आक्रोश और शोक की लहर दौड़ गई है। कई जगहों पर कैंडल मार्च और विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसमें लोग दोषियों को सख्त सजा देने की मांग कर रहे हैं।
वीडियो के सामने आने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय और स्थानीय जम्मू-कश्मीर प्रशासन एक्शन मोड में आ गए हैं। गृहमंत्री अमित शाह ने खुद इस वीडियो का संज्ञान लिया है और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को जांच का आदेश दिया है। सूत्रों के मुताबिक वीडियो की फॉरेंसिक जांच की जाएगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि हमला कब, कैसे और किन हथियारों से हुआ।
वहीं सुरक्षा एजेंसियां सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल लोकेशन डेटा की मदद से आतंकियों की पहचान करने में जुट गई हैं। घाटी में सुरक्षा बलों को अलर्ट पर रखा गया है और गहन तलाशी अभियान चलाए जा रहे हैं।
जहां सरकार एक्शन में है, वहीं विपक्ष ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस, टीएमसी और आम आदमी पार्टी जैसे दलों ने कहा है कि अगर सुरक्षा एजेंसियों को पहले से इनपुट थे, तो यह हमला क्यों नहीं रोका गया? विपक्ष का कहना है कि यह हमला दर्शाता है कि घाटी में शांति केवल कागजों पर है, जमीन पर नहीं।