जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद इलाके में डर और सन्नाटा फैल गया है। जहां एक समय पर्यटकों की चहल-पहल रहती थी, वहां अब सुरक्षा बलों की तैनाती और तनावपूर्ण माहौल नजर आ रहा है। स्थानीय लोगों में भय है और पर्यटन व्यवसाय पूरी तरह से ठप हो चुका है।
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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए भीषण आतंकी हमले ने न सिर्फ कई मासूम जिंदगियां छीन लीं, बल्कि इस खूबसूरत घाटी की रौनक को भी लील लिया। जहां पहले पर्यटकों की भीड़, घोड़ों की टापें और शोरगुल रहता था, आज वहां खामोशी और भय ने डेरा जमा लिया है।
हमले के बाद से इलाके में सुरक्षा एजेंसियों की भारी तैनाती की गई है। हर कोने पर बैरिकेड्स, चेकिंग पॉइंट्स और हथियारबंद जवान नजर आते हैं। स्थानीय दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद कर दी हैं और आम जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो चुका है।
घटना के बाद से पहलगाम में कोई भी पर्यटक नजर नहीं आता, जबकि यह स्थान गर्मियों के दौरान पर्यटकों से खचाखच भरा रहता है। होटल, गेस्ट हाउस, और स्थानीय कारोबारों पर इसका सीधा असर पड़ा है। स्थानीय निवासी बताते हैं कि अब हर किसी को डर है कि अगला निशाना कौन होगा।
एक होटल संचालक ने कहा, “हमारा पूरा व्यवसाय पर्यटकों पर निर्भर है। अब तो सब सूना-सूना लग रहा है, न कोई आने वाला है, न कोई पूछने वाला।” प्रशासन ने भी होटल मालिकों और स्थानीय व्यापारियों को अलर्ट रहने को कहा है।
हमले के बाद प्रशासन ने इलाके में अत्यधिक सुरक्षा व्यवस्था लागू कर दी है। सेना, CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त टीम लगातार गश्त कर रही है। ड्रोन से निगरानी की जा रही है और संदिग्ध गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जा रही है।
गृहमंत्रालय की ओर से भी अतिरिक्त फोर्स तैनात करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही, खुफिया एजेंसियों को सक्रिय करते हुए घाटी में आतंकी गतिविधियों की गहराई से जांच की जा रही है।
जहां एक ओर आम लोग दहशत में हैं, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज हो गई है। विपक्ष ने सरकार से सुरक्षा में चूक के सवाल पूछे हैं, जबकि केंद्र सरकार ने “Zero Tolerance” नीति अपनाने की बात दोहराई है।
गृहमंत्री अमित शाह पहले ही सख्त कार्रवाई और जवाबी रणनीति के संकेत दे चुके हैं। इसके साथ ही उन्होंने स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए तेजी से कदम उठाए जाएं।