जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद सुरक्षाबलों ने जवाबी कार्रवाई में लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकियों के घरों को ध्वस्त कर दिया है। यह कदम आतंकी गतिविधियों पर नकेल कसने और आतंकियों के नेटवर्क को तोड़ने की रणनीति के तहत उठाया गया है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि जो भी आतंकी गतिविधियों में शामिल होगा, उसे अंजाम भुगतना पड़ेगा।
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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस हमले में निर्दोष पर्यटकों की हत्या के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने अब कड़ा एक्शन लेना शुरू कर दिया है। खुफिया इनपुट्स के आधार पर कार्रवाई करते हुए सुरक्षाबलों ने लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े दो स्थानीय आतंकियों के घरों को तोप और बुलडोजर से जमींदोज कर दिया। यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर प्रशासन और सेना के संयुक्त ऑपरेशन के तहत की गई।
सूत्रों के अनुसार, ये दोनों आतंकी पहलगाम हमले की योजना और क्रियान्वयन में सीधे तौर पर शामिल थे। उनकी पहचान पहले ही कर ली गई थी और सुरक्षा बलों ने उन्हें पकड़ने के लिए बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया हुआ है। इस बीच, उनके परिवारों द्वारा उपयोग किए जा रहे आवासीय परिसरों को ध्वस्त कर दिया गया है, जो एक स्पष्ट संदेश है कि आतंकी गतिविधियों का कोई समर्थन अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सरकार ने पहले ही साफ कर दिया था कि आतंकवाद के खिलाफ “जीरो टॉलरेंस” नीति अपनाई जाएगी। प्रशासन का कहना है कि जिन संपत्तियों का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों को संचालित करने के लिए किया जाता है, उन्हें सील या ध्वस्त करना कानूनी रूप से उचित है। इस नीति के तहत अब तक कई आतंकियों की संपत्तियों को कुर्क या नष्ट किया जा चुका है।
गृह मंत्रालय ने भी जम्मू-कश्मीर प्रशासन को इस संबंध में पूरी कार्रवाई की स्वतंत्रता दी है। यह कदम न केवल आतंकियों के मनोबल को तोड़ने की रणनीति है, बल्कि स्थानीय नागरिकों को भी यह संदेश देने की कोशिश है कि आतंकवाद के समर्थन की कोई जगह नहीं है।
इस कार्रवाई के बाद स्थानीय जनता में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखी जा रही हैं। एक वर्ग जहां इसे आतंक के खिलाफ सही कदम मान रहा है, वहीं कुछ लोग इसे मानवाधिकारों के उल्लंघन की दृष्टि से देख रहे हैं। हालांकि, सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई पूरी जांच और कानूनी प्रक्रिया के तहत की गई है।
राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रियाएं दी हैं। जहां भाजपा ने इस कदम को आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति बताया है, वहीं पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसे दलों ने इससे जनता में भय का माहौल बनने की आशंका जताई है।
सुरक्षा एजेंसियों ने संकेत दिए हैं कि आने वाले दिनों में और भी सटीक और तेज़ कार्रवाई देखने को मिल सकती है। ड्रोन सर्विलांस, खुफिया नेटवर्क और स्पेशल ऑपरेशन टीम्स को घाटी में सक्रिय कर दिया गया है। इसके साथ ही स्थानीय युवाओं को कट्टरपंथ से दूर रखने के लिए जागरूकता अभियान भी तेज किया गया है।
यह स्पष्ट है कि सरकार अब सिर्फ बातों में नहीं बल्कि ठोस कार्रवाई में विश्वास रखती है। आतंकी नेटवर्क को जड़ से खत्म करने की दिशा में यह एक अहम और निर्णायक कदम माना जा रहा है।