जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने श्रीनगर में विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने केंद्र सरकार से घाटी में शांति बहाल करने की मांग की और कहा कि लगातार हो रहे हमले स्थानीय लोगों की सुरक्षा पर सवाल खड़े करते हैं। इस दौरान उन्होंने सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाए।
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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने जहां देश को दहला दिया, वहीं राज्य की राजनीति में भी हलचल मचा दी है। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने इस दर्दनाक हमले की तीव्र निंदा करते हुए श्रीनगर के लाल चौक इलाके में एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। उनके साथ पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता भी शामिल हुए।
महबूबा मुफ्ती ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि यह हमला केवल निर्दोष पर्यटकों पर नहीं, बल्कि कश्मीर की शांति और भाईचारे पर हमला है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि घाटी में आतंकवाद के खिलाफ सुनियोजित और ठोस नीति अपनाई जाए ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
धरने के दौरान महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार की कश्मीर नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि “घाटी में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के दावे सिर्फ कागज़ों तक सीमित हैं। जब तक ज़मीनी स्तर पर आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जाएगी, तब तक शांति केवल एक सपना रहेगी।” उन्होंने यह भी कहा कि लगातार हो रहे हमलों से स्थानीय लोगों में भय का माहौल बन गया है।
महबूबा ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार लोकतांत्रिक संस्थाओं को दरकिनार करके सुरक्षा के नाम पर केवल दिखावटी कार्रवाई कर रही है, जो कश्मीर की स्थिति को और बिगाड़ रही है।
महबूबा मुफ्ती के इस प्रदर्शन को कई स्थानीय लोगों और संगठनों का भी समर्थन मिला। उन्होंने कहा कि कश्मीर को आतंकवाद की गिरफ्त से बाहर निकालने के लिए सिर्फ सुरक्षा बलों की नहीं, बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति और जन सहभागिता की जरूरत है। महबूबा ने युवाओं से भी अपील की कि वे उकसावे में आए बिना शांति की राह अपनाएं और राज्य की समृद्धि के लिए काम करें।
महबूबा मुफ्ती ने साफ शब्दों में कहा कि सरकार को अब “सिर्फ बयानबाज़ी से बाहर निकलकर एक्शन में आना होगा।” उन्होंने पीड़ितों के परिवारों को न्याय दिलाने और आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। साथ ही उन्होंने कहा कि आतंकियों को समर्थन देने वाले नेटवर्क को भी बेनकाब कर सख्त सज़ा दी जानी चाहिए।
इस हमले के बाद राज्य में राजनीतिक तापमान बढ़ गया है और महबूबा मुफ्ती के इस विरोध प्रदर्शन को एक राजनीतिक संदेश के तौर पर देखा जा रहा है कि कश्मीर की सुरक्षा केवल सैन्य ताकत से नहीं, राजनीतिक समझदारी से ही संभव है।