पहलगाम आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा बलों को आतंकवाद के खिलाफ पूरी छूट देने का निर्णय लिया है। सूत्रों के अनुसार, पीएम ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि आतंकियों और उनके मददगारों को किसी भी हाल में बख्शा न जाए। यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में बड़े बदलाव की ओर इशारा करता है।
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29 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया। इस नृशंस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई और कई घायल हो गए। इस हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत उच्च स्तरीय बैठक बुलाई और सुरक्षा बलों को पूरी छूट (free hand) देने का बड़ा निर्णय लिया। सूत्रों के हवाले से बताया गया कि प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि आतंक के खिलाफ अब कोई नरमी नहीं बरती जाएगी।
बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री और खुफिया एजेंसियों के प्रमुख शामिल हुए। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि सुरक्षा एजेंसियों को लक्षित ऑपरेशन, सीमा पार कार्रवाई, और स्थानीय सहयोगियों पर शिकंजा कसने की पूरी आज़ादी दी जाए। उनका रुख साफ था – अब सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि प्रिवेंटिव स्ट्राइक का वक्त है।
पहलगाम हमले के बाद केंद्र सरकार ने घाटी में सक्रिय आतंकी संगठनों और उनके मददगारों की सूची तैयार कर ली है। खुफिया एजेंसियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे डिजिटल निगरानी, फाइनेंशियल ट्रैकिंग, और स्थानीय मुखबिर नेटवर्क को और मजबूत करें। इस ऑपरेशन में विशेष बलों (special forces) को शामिल किया गया है और स्थानीय पुलिस को भी लगातार इनपुट दिए जा रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि सुरक्षा बलों को “shoot at sight” की मौखिक अनुमति दी गई है जहां आतंकवादी गतिविधि की पुष्टि हो जाए। इसके अलावा, LoC के पार स्थित आतंकी कैंपों पर निगरानी और कार्रवाई को भी बढ़ाया गया है।
प्रधानमंत्री के इस निर्णायक फैसले का जनता और विभिन्न राजनीतिक दलों ने स्वागत किया है। विपक्षी दलों ने भी इस गंभीर मसले पर सरकार को समर्थन देने की बात कही है। सोशल मीडिया पर जनता का गुस्सा साफ देखा जा सकता है, जो अब केवल निंदा और शोक संदेशों से आगे बढ़कर निर्णायक कार्रवाई की मांग कर रही है।
पीएम मोदी के फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत की सुरक्षा नीति अब अधिक आक्रामक और proactive होगी। यह केवल जवाब देने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि हमले से पहले ही संभावित खतरे को खत्म करने की नीति अपनाई जाएगी। यह बदलाव न केवल जम्मू-कश्मीर तक सीमित रहेगा, बल्कि पूरे देश की आंतरिक सुरक्षा रणनीति में असर डालेगा।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया इस हमले को भारत के लिए एक turning point मान रही हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने मीडिया को बताया कि आने वाले हफ्तों में कई बड़े ऑपरेशन चलाए जाएंगे, और देश के दुश्मनों को एक स्पष्ट संदेश दिया जाएगा – “भारत अब चुप नहीं बैठेगा।”