जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हमले के पीछे पाकिस्तान से प्रशिक्षित आतंकियों का हाथ बताया जा रहा है। इस नृशंस हमले में कई बेगुनाह पर्यटक मारे गए हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने ऑपरेशन तेज कर दिया है और आतंकियों को पकड़ने के लिए व्यापक तलाशी अभियान शुरू हो चुका है।
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जम्मू-कश्मीर के शांत पहाड़ी क्षेत्र पहलगाम में एक बार फिर से आतंकवाद का साया मंडरा गया, जब पाक प्रायोजित आतंकियों ने निर्दोष नागरिकों पर कायराना हमला किया। यह हमला उस वक्त हुआ जब सैलानी प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने आए हुए थे, लेकिन कुछ ही पलों में वहां चीख-पुकार मच गई। इस भीषण आतंकी हमले में अब तक 26 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कई गंभीर रूप से घायल हैं।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, हमला एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा था, जिसमें सीमा पार से घुसे आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। कई प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आतंकियों की संख्या तीन से चार थी और वे पूरी तैयारी के साथ आए थे।
इस नृशंस हमले के बाद केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने जांच शुरू कर दी है और शुरुआती रिपोर्ट्स में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों की संलिप्तता की बात सामने आ रही है।
गृहमंत्री अमित शाह ने संबंधित अधिकारियों से बात कर स्थिति का जायज़ा लिया और स्पष्ट निर्देश दिए कि किसी भी आतंकी को बख्शा न जाए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की संप्रभुता पर हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
इस घटना के बाद राजनीतिक बयानबाज़ी शुरू हो चुकी है, लेकिन अधिकतर दलों ने इस बार संयम बरतते हुए आतंक के खिलाफ एकजुटता दिखाने की अपील की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले की कड़ी निंदा की और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। वहीं, विपक्षी नेताओं ने भी सरकार के साथ खड़े रहने का संदेश दिया है।
हमले के बाद पहलगाम के स्थानीय लोग बेहद डरे हुए हैं। वहीं, जो पर्यटक वहां मौजूद थे, उन्होंने जल्द से जल्द घाटी छोड़ दी। पर्यटन उद्योग, जो कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, इस हमले से एक बार फिर संकट में आ गया है।
स्थानीय नेताओं और सामाजिक संगठनों ने शांति बनाए रखने की अपील की है, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी मांग की है कि आतंकियों को सीमा पार से मिल रहे समर्थन पर लगाम लगाना अब ज़रूरी हो गया है।