पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को दहला कर रख दिया है। इस हमले में जान बचाने में सफल रहे एक चश्मदीद ने जो खौफनाक मंजर बयां किया, वो रूह कंपा देने वाला है। गोलियों की आवाज़, खून से सने लोग और मदद की पुकार – सबकुछ उस भयावह रात का हिस्सा था।
Updated Date
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देश भर में शोक और आक्रोश का माहौल है। इस हमले के दौरान मौजूद एक चश्मदीद ने जो कुछ देखा और सहा, वह किसी दुःस्वप्न से कम नहीं। चश्मदीद ने बताया कि कैसे अचानक गोलियों की बौछार शुरू हुई और चारों ओर चीख-पुकार मच गई।
“हम बस में बैठकर पहलगाम से लौट रहे थे, तभी अचानक गोलियों की आवाज़ सुनाई दी। कुछ ही पलों में बस के शीशे टूट गए और लोग इधर-उधर भागने लगे।” चश्मदीद की आंखें डर और दर्द से भरी थीं।
हमले के बाद का दृश्य बेहद हृदयविदारक था। घायल लोग सड़कों पर पड़े थे, मदद के लिए पुकार रहे थे। चश्मदीद ने बताया कि आतंकियों को किसी की परवाह नहीं थी – उनका मकसद बस दहशत फैलाना था। घायल एक महिला की पुकार – “मेरे बच्चे को बचा लो…” – आज भी उसके कानों में गूंज रही है।
हमले के तुरंत बाद भारतीय सेना और स्थानीय पुलिस ने मोर्चा संभाला और कई लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। चश्मदीद का कहना है कि अगर सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया देर से आती, तो मौत का आंकड़ा कहीं ज्यादा हो सकता था। उन्होंने बताया कि जवानों की बहादुरी ने कई लोगों की जान बचाई।
हमले को बीते भले ही कुछ दिन हो गए हों, लेकिन वहां मौजूद लोगों के लिए हर क्षण आज भी मानसिक यातना से कम नहीं। चश्मदीद बताते हैं कि जब भी कोई तेज आवाज़ आती है, तो दिल जोर से धड़कने लगता है। उन्हें नींद में भी गोलियों की आवाज़ सुनाई देती है।
चश्मदीद और अन्य बचे लोगों ने सरकार से मांग की है कि इस हमले के पीछे जिम्मेदार लोगों को तुरंत पकड़ा जाए और उन्हें सख्त सजा दी जाए। उन्होंने कहा कि ऐसे हमले देश की एकता और अखंडता पर हमला हैं, और इनका जवाब उतनी ही कड़ाई और एकजुटता से दिया जाना चाहिए।
हमले के बाद देशभर में लोगों ने सोशल मीडिया पर सुरक्षा बलों का समर्थन किया और शहीदों को श्रद्धांजलि दी। लोगों ने एक सुर में कहा कि अब समय आ गया है कि आतंक के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति अपनाई जाए।