पहल्गाम आतंकी हमले के विरोध में जम्मू के व्यापारियों ने बंद का ऐलान कर बाजार पूरी तरह से ठप कर दिए। व्यापारियों ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए भारत सरकार से पाकिस्तान के साथ हर प्रकार के व्यापारिक संबंध तोड़ने की मांग की। व्यापार मंडलों और आम नागरिकों का कहना है कि अब केवल शब्द नहीं, ठोस कार्रवाई की जरूरत है।
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जम्मू-कश्मीर के पहल्गाम में हुए आतंकी हमले ने न केवल राज्य को बल्कि पूरे देश को दहला दिया है। इस कायराना हरकत के विरोध में जम्मू के व्यापारिक संगठनों ने पूर्ण बंद का आह्वान किया। शहर भर की दुकानों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों और बाजारों पर ताले लटकते नजर आए। व्यापारियों ने सड़कों पर उतरकर पाकिस्तान के खिलाफ जमकर नारेबाज़ी की और भारत सरकार से पाकिस्तान से सभी व्यापारिक संबंध खत्म करने की मांग की।
जम्मू के प्रमुख व्यापार मंडलों का कहना है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता, तब तक उससे कोई भी आर्थिक संबंध देश की सुरक्षा के साथ समझौता होगा। जम्मू चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (JCCI) ने भी इस बंद को समर्थन देते हुए कहा कि समय आ गया है जब केंद्र सरकार को पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक कदम उठाने चाहिए।
बंद के दौरान सामाजिक संगठनों, युवाओं और स्थानीय नागरिकों ने भी व्यापारियों के आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। जगह-जगह पाकिस्तान का पुतला फूंका गया और यह संदेश दिया गया कि भारत अब आतंक के खिलाफ नरम रुख नहीं अपनाएगा। इस जनआंदोलन में सभी वर्गों के लोग शामिल हुए, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि अब भारत की जनता केवल बयानों से संतुष्ट नहीं है।
व्यापारियों का कहना है कि एक तरफ देश के जवान और नागरिक आतंकी हमलों का शिकार हो रहे हैं और दूसरी ओर पाकिस्तान से किसी भी प्रकार का व्यापार करना शहीदों का अपमान है। सरकार को चाहिए कि वह आयात-निर्यात, ट्रांजिट और हर तरह के आर्थिक जुड़ाव को तुरंत रोक दे।
जम्मू बंद को कई स्थानीय और राष्ट्रीय राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिला। बीजेपी नेताओं ने कहा कि जनता की भावना सरकार तक पहुंच चुकी है और जल्द ही इस पर कठोर निर्णय लिया जाएगा। विपक्षी दलों ने भी आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखाते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग किया जाए।
इस विरोध के चलते केंद्र सरकार पर भी दबाव बढ़ गया है। लोगों की मांग है कि अब सिर्फ सुरक्षा बैठकें या जांच आयोग नहीं, बल्कि सीधी और निर्णायक कार्रवाई की जरूरत है। पाकिस्तान के खिलाफ राजनयिक और आर्थिक दोनों मोर्चों पर एक साथ काम करने का वक्त है।
इस बंद के ज़रिए जम्मू ने यह साबित कर दिया कि राष्ट्रवाद केवल नारे नहीं, जन-आंदोलन का रूप ले चुका है। यदि भारत को आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाना है, तो पाकिस्तान के साथ सभी प्रकार के संबंधों की समीक्षा अनिवार्य है।