जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के खिलाफ दिल्ली के व्यापारियों ने बड़ा कदम उठाया है। कई प्रमुख बाजारों में स्वतःस्फूर्त बंद देखने को मिला और व्यापारिक संगठनों ने पाकिस्तान के साथ हर प्रकार के व्यापार को रोकने का ऐलान कर दिया। यह विरोध केवल संवेदना नहीं, बल्कि राष्ट्रहित में एकजुटता का प्रतीक बना।
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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस दर्दनाक घटना में कई निर्दोष लोगों की जान चली गई, और अब इसका प्रभाव दिल्ली के बाजारों में साफ दिखाई दे रहा है। दिल्ली के प्रमुख बाजारों जैसे चांदनी चौक, सदर बाजार, करोल बाग और लाजपत नगर में व्यापारियों ने स्वतःस्फूर्त रूप से बाजार बंद कर विरोध जताया।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) समेत कई व्यापारिक संगठनों ने एकजुट होकर ऐलान किया है कि वह अब पाकिस्तान से किसी भी प्रकार का आयात या व्यापार नहीं करेंगे। यह निर्णय केवल एक आर्थिक कदम नहीं, बल्कि राष्ट्रवाद और सुरक्षा के मुद्दे पर व्यापारियों की एकजुटता का परिचायक है।
दिल्ली के व्यापारियों ने कहा कि “जब देश पर हमला होता है, तो चुप बैठना देशभक्ति नहीं है। हमें अपने स्तर पर जो कर सकते हैं, वह करना चाहिए।” व्यापारियों का मानना है कि पाकिस्तान को आर्थिक रूप से अलग-थलग करना अब वक्त की जरूरत है। उनका कहना है कि पाकिस्तान से जो भी आयात होता है, वह सीधे या परोक्ष रूप से उनके सिस्टम को मजबूती देता है, जो आतंकियों को संरक्षण देता है।
इस विरोध को केवल व्यापारिक वर्ग से ही नहीं, बल्कि सामाजिक संगठनों और आम नागरिकों से भी व्यापक समर्थन मिल रहा है। कई स्थानीय निवासियों ने बाजार बंद का समर्थन करते हुए कहा कि “देश के वीरों की शहादत के सामने हमारी एक दिन की कमाई कुछ भी नहीं है।” सोशल मीडिया पर भी #BoycottPakistan और #JusticeForPahalgamVictims जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे हैं।
व्यापारियों ने केंद्र सरकार से भी अपील की है कि वह पाकिस्तान से हर प्रकार के आर्थिक और कूटनीतिक रिश्तों को खत्म करने का निर्णय ले। इसके अलावा व्यापारियों ने सरकार से यह भी मांग की है कि आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए सीमा पर और कड़े कदम उठाए जाएं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री समेत कई राजनीतिक नेताओं ने व्यापारियों की इस पहल का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि एकजुट भारत की तस्वीर है। व्यापारियों के इस कदम से यह साफ है कि आतंकवाद के खिलाफ देश की जनता अब सिर्फ सरकार पर नहीं, बल्कि खुद भी मोर्चा लेने को तैयार है।