भारत द्वारा आतंकवादियों के ठिकानों पर "ऑपरेशन सिंडू" के तहत किए गए सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने गंभीर प्रतिक्रिया दी है। पाकिस्तान सरकार ने सेना को आवश्यक सैन्य कार्रवाई के लिए अधिकृत किया है। इस कदम से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर अब दक्षिण एशिया पर टिकी है।
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नई दिल्ली / इस्लामाबाद: भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर सीमा के पास आतंकी ठिकानों पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक—जिसे “ऑपरेशन सिंडू” नाम दिया गया—ने पूरे क्षेत्र में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ा दिया है। इस अभियान के तहत भारतीय सेना ने आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले कुछ महत्वपूर्ण ठिकानों को निशाना बनाया। यह ऑपरेशन खुफिया जानकारी के आधार पर शुरू किया गया और इसमें लक्षित हमला कर आतंकी ढांचे को ध्वस्त किया गया।
इस कार्रवाई के बाद, पाकिस्तान ने इसे “सीमा पार आक्रामकता” करार देते हुए अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की आपात बैठक बुलाई। बैठक के बाद पाकिस्तान सरकार ने बयान जारी कर बताया कि उसने अपनी सेना को “सभी आवश्यक सैन्य जवाबी कार्रवाई के लिए पूरी तरह अधिकृत” कर दिया है। इस बयान के साथ ही दोनों देशों के बीच हालात बेहद नाजुक हो गए हैं।
भारत सरकार के अनुसार, यह ऑपरेशन किसी भी निर्दोष नागरिक को नुकसान पहुंचाए बिना केवल आतंकी नेटवर्क को खत्म करने के लिए किया गया। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई आत्मरक्षा में और भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए की गई। प्रधानमंत्री कार्यालय की निगरानी में ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया और अब इसके परिणामस्वरूप आतंकी गतिविधियों में गिरावट आने की उम्मीद जताई जा रही है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए भारत पर “गंभीर उकसावे” का आरोप लगाया और कहा कि पाकिस्तान शांति चाहता है, लेकिन किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है। वहीं, पाकिस्तान की सेना ने भी अपनी तैयारियों को सार्वजनिक रूप से जाहिर किया है।
इस स्थिति को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, रूस और यूरोपीय संघ जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठन दोनों देशों से संयम बरतने की अपील कर रहे हैं। लेकिन क्षेत्रीय तनाव के चलते यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ सकते हैं यदि राजनयिक समाधान न निकाला गया।
भारत में जहां विपक्ष ने सरकार से संसद में स्पष्टीकरण की मांग की है, वहीं सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि “यह कार्रवाई राष्ट्र की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए की गई है”। सत्तारूढ़ दल ने कहा है कि आतंक के खिलाफ कोई भी नरमी दिखाना देश के खिलाफ धोखा होगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस प्रकार की कार्रवाई से एक ओर आतंक के नेटवर्क को बड़ा झटका लगेगा, वहीं दूसरी ओर यह भारत की रणनीतिक मजबूती और सैन्य तैयारियों को भी दर्शाता है।