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श्रीलंका, ओमान, तंजानिया के अफसरों ने सीखे प्रशासन के गुर, ई-गवर्नेंस में भारत की अनुकरणीय प्रगित को जाना  

राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) ने दक्षिण पूर्व एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र के सिविल सेवकों के लिए सार्वजनिक नीति और प्रशासन पर अपना पहला क्षमता निर्माण कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न किया। 18 से 29 नवंबर तक आयोजित दो सप्ताह का कार्यक्रम मसूरी और नई दिल्ली में आयोजित किया गया था। इसमें श्रीलंका, ओमान, तंजानिया, केन्या, सेशेल्स, मलेशिया, कंबोडिया, मालदीव और म्यांमार के प्रमुख मंत्रालयों का प्रतिनिधित्व करने वाले 30 वरिष्ठ अधिकारी एक साथ आए।

By HO BUREAU 

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नई दिल्ली। राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) ने दक्षिण पूर्व एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र के सिविल सेवकों के लिए सार्वजनिक नीति और प्रशासन पर अपना पहला क्षमता निर्माण कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न किया। 18 से 29 नवंबर तक आयोजित दो सप्ताह का कार्यक्रम मसूरी और नई दिल्ली में आयोजित किया गया था। इसमें श्रीलंका, ओमान, तंजानिया, केन्या, सेशेल्स, मलेशिया, कंबोडिया, मालदीव और म्यांमार के प्रमुख मंत्रालयों का प्रतिनिधित्व करने वाले 30 वरिष्ठ अधिकारी एक साथ आए।

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कार्यक्रम ने प्रतिभागियों को विचारों का आदान-प्रदान करने, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और शासन और प्रशासन के लिए नवीन दृष्टिकोणों पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान किया। कार्यक्रम ई-गवर्नेंस, सतत विकास, पारदर्शिता और समावेशिता जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर केंद्रित है, जो शासन में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए एनसीजीजी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

समापन सत्र के दौरान एनसीजीजी के महानिदेशक डॉ. सुरेंद्रकुमार बागड़े ने प्रतिभागियों के साथ बातचीत की और ई-गवर्नेंस में भारत की अनुकरणीय प्रगति पर प्रकाश डाला। उन्होंने सरकार के “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन” के दर्शन के महत्व को रेखांकित किया, जिससे पारदर्शिता, दक्षता और सार्वजनिक सेवा वितरण में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। डॉ. बागड़े ने अपशिष्ट प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। इस बात पर जोर दिया कि इस क्षेत्र में प्रभावी तंत्र के दूरगामी सकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव हो सकते हैं।

कार्यक्रम में देश-विशिष्ट प्रस्तुतियाँ दी गईं जहाँ प्रतिभागियों ने अपने शासन ढांचे और विकासात्मक रणनीतियों का प्रदर्शन किया। ओमान ने ई-गवर्नेंस और डिजिटल परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपने विज़न 2040 पर प्रकाश डाला। श्रीलंका ने गरीबी उन्मूलन के लिए अपने जमीनी स्तर पर संचालित समृद्धि कार्यक्रम को साझा किया। मालदीव ने पर्यावरण प्रशासन पहल पर चर्चा की, जबकि केन्या ने ई-गवर्नेंस के माध्यम से पारदर्शिता पर जोर दिया। कंबोडिया ने विकेंद्रीकरण सुधार और समावेशी विकास रणनीतियाँ प्रस्तुत कीं। तंजानिया ने विज़न 2025 और ओपन गवर्नमेंट पार्टनरशिप में अपनी भागीदारी का प्रदर्शन किया।

सेशेल्स ने अपने ब्लू इकोनॉमी गवर्नेंस मॉडल पर प्रकाश डाला, म्यांमार ने अपनी सतत विकास योजना पर चर्चा की, और मलेशिया ने विजन 2020 और राष्ट्रीय परिवर्तन 2050 पर विस्तृत चर्चा की। इस अवसर के दौरान पाठ्यक्रम समन्वयक और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. ए.पी. सिंह ने प्रतिभागियों की यात्रा को साझा किया और पाठ्यक्रम के फोकस पर प्रकाश डाला। पूरे कार्यक्रम का समन्वय डॉ. एपी सिंह पाठ्यक्रम समन्वयक और एसोसिएट प्रोफेसर साथ ही डॉ. मुकेश भंडारी, एसोसिएट कोर्स समन्वयक, श्री संजय दत्त पंत, कार्यक्रम सहायक और पूरी एनसीजीजी क्षमता-निर्माण टीम द्वारा किया गया था।

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