निकाय चुनाव के रण के बीच देहरादून में रिस्पना किनारे मलिन बस्तियों के अतिक्रमण पर एनजीटी की तल्ख टिप्पणी से खलबली मच गई है। एनजीटी ने उत्तराखंड सरकार के मलिन बस्तियों को सुरक्षित करने वाले अध्यादेश को कठघरे में खड़ा कर दिया है। वैसे तो प्रदेश में यूं तो हमेशा ही हाइकोर्ट के सख्त आदेश या निर्देश सरकार के लिए चिंता का सबब बन जाते हैं लेकिन इस बार निकाय चुनाव के बीच NGT का आदेश चर्चा का मुद्दा बन गया है।
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देहरादून। निकाय चुनाव के रण के बीच देहरादून में रिस्पना किनारे मलिन बस्तियों के अतिक्रमण पर एनजीटी की तल्ख टिप्पणी से खलबली मच गई है। एनजीटी ने उत्तराखंड सरकार के मलिन बस्तियों को सुरक्षित करने वाले अध्यादेश को कठघरे में खड़ा कर दिया है। वैसे तो प्रदेश में यूं तो हमेशा ही हाइकोर्ट के सख्त आदेश या निर्देश सरकार के लिए चिंता का सबब बन जाते हैं लेकिन इस बार निकाय चुनाव के बीच NGT का आदेश चर्चा का मुद्दा बन गया है।
आदेश में एनजीटी ने कहा है कि केंद्र सरकार के पर्यावरण संरक्षण को लेकर बनाए गए कानून को राज्य सरकार अधिग्रहीत नहीं कर सकती। इसके बाद एक बार फिर नगर निगम की इन बस्तियों में रहने वालों की चिंता बढ़ गई है। चुनावी माहौल में डूबी इन मलिन बस्तियों में एनजीटी का ये आदेश चर्चा का मुद्दा बना हुआ है। एनजीटी ने मामले में सचिव शहरी विकास, सचिव सिंचाई, डीएम, नगर आयुक्त देहरादून, एमडीडीए उपाध्यक्ष को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है। मामले में 13 फरवरी को अगली सुनवाई होगी।
एनजीटी के आदेश को लेकर कांग्रेस, सरकार पर हमलावर हो गई है। कांग्रेस का कहना है कि सरकार के ढीले ढाले रवैये से मलिन बस्ती वासी अधर में लटके हुए हैं। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार सिर्फ राजनीति करना जानती है इसलिए न तो मलिन बस्तियों के नियमितीकरण पर कोई कार्यवाही की है और न ही उस दिशा में शासन कोई ठोस कार्यवाही की रणनीति बनाता हुआ नजर आया है।
मगर वहीं NGT की तल्ख टिप्पणी को लेकर बीजेपी कुछ बैकफुट पर लगा रही है बीजेपी विधायक विनोद चमोली का तर्क है कि सरकार ने मलिन बस्तियों को बचाने के लिए अध्यादेश लाया है । अगर सरकार को लगता है कि अध्यादेश से भी मलिन बस्तियों को बचाया नहीं जा सकता है तो फिर उसकी लड़ाई कानूनी दरवाजे से लड़ी जाएगी। कांग्रेस नेता सिर्फ जनता को गुमराह करना जानते है औऱ कुछ नहीं।
उत्तराखंड में इससे पूर्व भी NGT के आदेश ओर हाइकोर्ट के सख्त दिशा निर्देश पर अवैध अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाया गया था लेकिन तब भी सरकार ने मलिन बस्तियों को लेकर अध्यादेश लाना का काम किया था। अब फिर ऐसा अध्यादेश पिछले साल सरकार लेकर आई है लेकिन इस अध्यादेश को NGT ने नकार दिया है। अब देखना होगा कि सरकार ओर प्रशासन क्या रणनीति अपनाते है जिससे मलिन बस्तियां बची रह सके।