Booking.com
  1. हिन्दी समाचार
  2. झारखंड
  3. झारखंड की सियासतः ‘कल्पना’ की कल्पना को नहीं समझ पाया NDA, चौथी बार HEMANT को पहनाया सूबे का ताज  

झारखंड की सियासतः ‘कल्पना’ की कल्पना को नहीं समझ पाया NDA, चौथी बार HEMANT को पहनाया सूबे का ताज  

जब ED ने मुख्यमंत्री हेमत सोरेन को जनवरी 2024 में  गिरफ्तार कर लिया था, तो गिरफ़्तारी से पहले उन्होंने CM की कुर्सी से इस्तीफा दे दिया था। हेमंत की गिरफ़्तारी के बाद उनकी पत्नी कल्पना सोरेन राजनीति में नजर आने लगीं। धीरे-धीरे कल्पना सोरेन राजनीति में पूरी तरह ऐक्टिव हो गई। गांडए से उपचुनाव जीतकर पहले विधायक बनीं।

By HO BUREAU 

Updated Date

रांची (झारखंड)। जब ED ने मुख्यमंत्री हेमत सोरेन को जनवरी 2024 में  गिरफ्तार कर लिया था, तो गिरफ़्तारी से पहले उन्होंने CM की कुर्सी से इस्तीफा दे दिया था। हेमंत की गिरफ़्तारी के बाद उनकी पत्नी कल्पना सोरेन राजनीति में नजर आने लगीं। धीरे-धीरे कल्पना सोरेन राजनीति में पूरी तरह ऐक्टिव हो गई। गांडए से उपचुनाव जीतकर पहले विधायक बनीं। धीरे-धीरे कल्पना सोरेन JMM की स्टार प्रचारक बन गईं। उनकी डिमांड पूरे प्रदेश में होने लगी। ना सिर्फ JMM के नेता कल्पना सोरेन को अपने अपने क्षेत्र में उनको बुलाकर कार्यक्रम करवाने लगे बल्कि सहयोगी दल कांग्रेस और आरजेडी के नेता भी उनको बुलाकर कार्यक्रम करवाने लगे।

पढ़ें :- झारखंडः हेमंत सोरेन की पूरी कैबिनेट तैयार, सभी की जिम्मेवारी तय

क्योंकि हेमंत सोरेन को कथित जमीन घोटाले में गिरफ़्तारी की चिंता बहुत पहले से सताने लग गई थी। इसलिए उन्होंने अपने जेल जाने से पहले उन्होंने राज्य के उत्तराधिकारी की तलाश शुरू कर दी थी। तब हेमंत सोरेन को पहली बार कल्पना सोरेन में अपना उत्तरधिकारी दिखने लगा। इसी के साथ कल्पना सोरेन को चुनाव में उतारने की तैयारी शुरू कर दी गई। उसी वक्त JMM विधायक ने गांडेय विधानसभा से इस्तीफा दिया।

बाद में उसी सीट से चुनाव लड़कर कल्पना सोरेन विधायक बनीं। इसके बाद सोरेन परिवार के सबसे विश्वासी और करीबी चंपई सोरेन को CM की कुर्सी सौंप दी गई। इसके बाद लोकसभा चुनाव में कल्पना सोरेन ने पूरे प्रदेश में चुनाव प्रचार किया और जीता। इस चुनाव ने कल्पना सोरेन के अंदर एक विश्वास पैदा कर दिया और वो विश्वास का प्रभाव था कि कल्पना सोरेन एक मंझे हुए नेता की तरह जनता से संवाद करने लग गईं।

बात करने का लहजा हो, चाहे वह आदिवासी भाषा हो या फिर हिंदी सब में वह धाराप्रवाह बात करती हैं। कल्पना सोरेन के इस नए अवतार से भाजपा नेताओं की नींद उड़ गई। फिलहाल कल्पना सोरेन के कद की झारखंड बीजेपी में कोई ऐसी महिला नेता नहीं है, जो जवाबी हमला बोल सके। बीजेपी को जिस बात का डर था हुआ भी वहीं, कल्पना सोरेन ने इस विधानसभा के चुनाव में 100 से ज्यादा ताबड़तोड़ रैलियां कीं।

धाराप्रवाह में कल्पना के अंदाज ने झारखंड की जनता का विश्वास जीत लिया और जब परिणाम आए तो झारखंड मुक्ति मोर्चा ने शानदार प्रदर्शन किया। 81 सदस्‍यीय विधानसभा में JMM के साथ ही इंडिया गठबंधन की पार्टियों ने कुल 56 सीटों पर जीत के साथ सत्ता में वापसी की। हर तरफ कल्पना ही कल्पना हो गया। ऐसी कल्पना जिसकी कल्पना खुद हेमंत सोरेन ने भी नहीं की होगी।

पढ़ें :- HEMANT KI HIMMAT KALPANA : ‘कल्पना’ की कल्पना को नहीं समझ पाया NDA, चौथी बार HEMANT को पहनाया सूबे का ताज  

Santhal Pargana: सादगी और सरलता से जीता आदिवासी महिलाओं का दिल

kalpana soren

kalpana soren

झारखंड की राजनीति में ये कहा जाता है कि जिसने संथाल परगना को जीत लिया, उसकी सरकार बनना तय है। संथाल परगना पर फतह हासिल करने के लिए हेमंत सोरेन ने सही समय एक योजना को लांच किया, जिसका नाम था मुख्यमंत्री ‘मैया सम्मान योजना’।  इस योजना के तहत 18 से 50 वर्ष की महिलाओं के खाते में 1000 रुपये सीधे जमा किये गए। अब इस राशि को 2500 रुपये तक कर दिया गया है। झारखंड की 29 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर महिला मतदाताओं की संख्‍या पुरुषों से ज्‍यादा है। यहां भी कल्पना सोरेन ने मोर्चा संभाला।

अपनी सादगी और सरलता से कल्पना सोरेन ने आदिवासी महिलाओं के बीच जाकर जनसभाएं कर हर एक आदिवासी महिला के दिल और दिमाग में इस बात का विश्वास जगा दिया कि उनके अधिकार और उनके हित के लिए JMM उनके साथ खड़ी है। बीजेपी के लाख कोशिशों के बाद भी कल्पना ने यहां माहौल बदल दिया और नतीजा ये रहा कि बीजेपी को यहां सिर्फ 1 सीट ही मिल पाई और JMM गठबंधन को इन 18 सीटों में से 11 सीट पर जेएमएम, 4 सीटों पर कांग्रेस, दो सीटों पर आरजेडी ने जीत हासिल कर राज्य की कमान अपने हाथों में ले ली। यानि की संथाल परगना में भी जहां बीजेपी ने बड़े से बड़े आदिवासी नेता को उतार रखा था वहां भी हेमंत और कल्पना की जोड़ी ने बीजेपी को पटखनी दे दी।

JMM KI JEETA KA FORMULA : कल्पना की ‘मंइयां सम्मान योजना’ सब पर पड़ी भारी

पढ़ें :- Jharkhand Election: हेमंत को सत्ता में वापसी की उम्मीद, रुझानों में बहुमत के करीब

झारखंड में इंडिया गठबंधन की जीत के कई कारक हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण ‘मंइयां सम्मान योजना’ और कल्पना सोरेन रहीं। प्रदेश की 81 में से 29 विधानसभा सीटों पर महिला वोटर पुरुषों से अधिक हैं। इसे देखते हुए ही बीजेपी ने ‘मंइयां सम्मान योजना’ की तर्ज पर गोगी दीदी योजना का वादा किया, लेकिन महिलाओं ने हेमंत सोरेन की ‘मंइयां सम्मान योजना’ पर भरोसा जताते हुए उसे वोट किया। इसका परिणाम यह हुआ कि महिला बहुल 29 सीटों में से 28 पर इंडिया गठबंधन ने बढ़त बनाई।

कल्पना सोरेन ने जिस तरह से हेमंत की गिरफ्तारी को मुद्दा बनाया, उससे जनता में हेमंत के प्रति सहानुभूति पैदा हुई। यह सहानुभूति वोटों में भी बदली। कल्पना ने कहा कि हेमंत को झूठे मुकदमे में फंसाकर जेल भेजा गया है। उन्होंने जेएमएम को तोड़ने का भी आरोप लगाया। उन्होंने मणिपुर से छत्तीसगढ़ तक आदिवासियों के उत्पीड़न का मुद्दा उठाया। वहीं जेएमएम ने रघुवर दास की सरकार में 2016 में सीएनटी एक्ट की धारा 46 में किए बदलाव को भी मुद्दा बनाया।

रघुवर दास ने सीएनटी एक्ट की धारा 46 में बदलाव किया था। इस बदलाव के बाद आदिवासियों की जमीन के नेचर को बदला जा सकता था। बीजेपी का कहना था कि यह उद्योगों की स्थापना के लिए किया गया, जबकि जेएमएम आदिवासियों को यह संदेश देने में कामयाब रही कि बीजेपी ने उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए यह बदलाव किया है। उसने प्रचार किया कि उसके विरोध की वजह से ही सरकार को बदलाव वापस लेना पड़ा था। यह मुद्दा बीजेपी के गले पड़ गया। इसकी वजह से बीजेपी आदिवासियों में विश्वास पैदा नहीं कर पाई और बीजेपी को शिकस्त झेलनी पड़ी।

कहते है कि राजनीति में कई बार मुद्दों से ज्यादा सहानभूति काम करती है और यही हुआ इस बार झारखंड के विधानसभा में, क्योंकि हेमंत सोरेन को पता था कि राज्य में उनके खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी है और बीजेपी इसका पूरा फायदा उठाएगी, इसलिए हेमंत सोरेन ने अपनी गिरफ़्तारी और जेल जाने की कहानी जनता को सुनाई और ये विश्वास दिलाया कि जब एक राज्य के आदिवासी सीएम को बीजेपी जेल में डाल सकती है तो सोचो आपका क्या होगा। इतना ही नहीं उन्होंने जेल जाने के बाद हाथ पर लगे ठप्पे को जनता को दिखाया और उस वक्त वो तस्वीरें भी खूब वायरल हुईं।

KALPNA -HEMANT KI STORY: बड़े भाई की मौत के बाद हेमंत ने संभाली राजनीतिक बागडोर

एक सैन्य परिवार से आने वाली कल्पना का जन्म पंजाब में हुआ। उनका परिवार मूलरूप से ओडिशा के मयूरभंज जिले का रहने वाला है। इंजीनियरिंग स्नातक और मैनेजमेंट में पीजी की डिग्री रखने वाली कल्पना पांच भाषाओं की जानकार हैं। उनका यह भाषा ज्ञान चुनाव प्रचार के दौरान भी नजर आया तो वहीं हेमंत सोरेन  का हजारीबाग के पास नेमरा गांव में 1975 में उनका जन्म हुआ। उनके शुरुआती जीवन पर उनके पिता शिबू सोरेन की राजनीतिक विरासत का काफी प्रभाव था, जो झारखंड की राजनीति में एक प्रमुख व्यक्ति थे। हेमंत को शुरू में अपने पिता के उत्तराधिकारी के रूप में नहीं देखा गया था, लेकिन साल 2009 में अपने बड़े भाई दुर्गा की असामयिक मृत्यु के बाद यह बदल गया, जिसके कारण हेमंत ने झारखंड मुक्ति मोर्चा की राजनीतिक बागडोर संभाली।

पढ़ें :- Political Turmoil: पूर्व CM चंपई सोरेन ने दिया नई राजनीतिक राह का संकेत, झारखंड की सियासत में पड़ेगा दूरगामी प्रभाव

पिता शिबू सोरेन को पहली ही नजर में भा गईं कल्पना, मान बैठे बहू

kalpana

kalpana

ओडिशा की रहने वाली कल्पना सोरेन के साथ जब हेमंत सोरेन की शादी हुई, तो शिबू सोरेन केंद्र सरकार में कोयला मंत्री थे। पहली ही नजर में ही दिशोम गुरु शिबू सोरेन कल्पना सोरेन को बहू मान बैठे। घर आकर अपनी पत्नी रूपी सोरेन के साथ शिबू सोरेन ने चर्चा की, फिर क्या था अपने लाडले हेमंत सोरेन के लिए हाथ पीले कर दिए। झारखंड के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार में जन्मे हेमंत सोरेन की अरेंज्ड मैरिज हुई।

वैलेंटाइन वीक के पहले दिन 7 फरवरी 2006 को हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन शादी के बंधन में बंधे। करीब 18 साल पहले हुई शादी में शिबू सोरेन परिवार के सभी सदस्यों के अलावा जेएमएम और अन्य दलों के तमाम नेता-कार्यकर्ता बारात लेकर क्योंझर पहुंचे थे। उस वक्त कल्पना सोरेन का पूरा परिवार क्योंझर जिले के बारीपदा में ही रहता था। शिबू सोरेन के पैतृक गांव नेमरा से सभी बाराती सैकड़ों छोटे-बड़े वाहनों से बारीपदा पहुंचे थे।

जहां बारातियों के स्वागत के लिए कल्पना सोरेन के परिवार की जगह हेमंत सोरेन के बड़े भाई दुर्गा सोरेन की ओर से सारा इंतजाम किया गया था। बताया जाता है कि हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन की शादी जनजातीय परंपरा और संताली रीति-रिवाज के अनुसार हुई। शादी में आतीशबाजी के लिए एक बड़ी टीम को पश्चिम बंगाल से बुलाया गया था।

1976 में जन्मी कल्पना सोरेन काफी समय तक राजनीति से दूर रहीं। हालांकि पति हेमंत सोरेन के साथ 18 वर्ष तक रहने के कारण कल्पना सोरेन हर छोटी-बड़ी राजनीतिक घटनाओं को करीब से देख रही हैं और सभी राजनीतिक घटनाओं पर उनकी पैनी नजर बनीं रहती है। शिबू सोरेन की बहू और हेमंत सोरेन की पत्नी होने के कारण कल्पना सोरेन राजनीति के हर दांव-पेच से अवगत हैं।

पढ़ें :- झारखंड में तड़तड़ाईं गोलियांः रांची में दारोगा की गोली मारकर हत्या, हमलावरों की गिरफ्तारी के लिए SIT गठित  
इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook, YouTube और Twitter पर फॉलो करे...
Booking.com
Booking.com