National Herald मामले ने भारतीय राजनीति को फिर एक बार गर्मा दिया है। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि यह केस गांधी परिवार को बदनाम करने और विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश है। वहीं, भाजपा इसे कानून के दायरे में उठाया गया कदम बता रही है। क्या यह केस 'ATM की राजनीति' का हिस्सा है या असली भ्रष्टाचार का मामला?
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नई दिल्ली — देश की राजनीति एक बार फिर उस मोड़ पर है जहां सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष के बीच टकराव अपने चरम पर है। इस बार बहस का केंद्र है National Herald मामला, जिसमें गांधी परिवार की भूमिका और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। कांग्रेस इसे सरकार द्वारा की जा रही “राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई” बता रही है, वहीं भाजपा इसे कानून का पालन कराने की प्रक्रिया मान रही है।
National Herald अखबार की स्थापना 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी। यह अखबार Associated Journals Limited (AJL) के तहत प्रकाशित होता था। बाद में इस कंपनी को एक नई कंपनी Young Indian Limited (YIL) ने अधिग्रहित कर लिया, जिसमें राहुल गांधी और सोनिया गांधी की हिस्सेदारी 76% है। आरोप यह है कि YIL के जरिए कांग्रेस पार्टी ने AJL की 90 करोड़ रुपये की संपत्ति पर नियंत्रण हासिल किया, जिसे भाजपा और शिकायतकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश बताया।
प्रवर्तन निदेशालय ने गांधी परिवार को कई बार पूछताछ के लिए बुलाया। सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों ED के सामने पेश हो चुके हैं। इस पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने कहा, “हम डरने वाले नहीं हैं। यह सरकार लोकतंत्र को कुचलना चाहती है और विपक्ष की आवाज दबाना चाहती है।” कांग्रेस नेताओं ने दिल्ली समेत देशभर में सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किए और ED की कार्रवाई को “सिलेक्टिव टारगेटिंग” बताया।
भाजपा नेताओं ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि कानून से ऊपर कोई नहीं है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा, “यदि गांधी परिवार ने कुछ गलत नहीं किया है, तो उन्हें जांच से डर क्यों लग रहा है?” भाजपा का यह भी कहना है कि कांग्रेस केवल “जांच एजेंसियों को बदनाम” कर लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल उठा रही है।
जनता के बीच भी इस केस को लेकर कई सवाल हैं। क्या यह वास्तव में भ्रष्टाचार से जुड़ा एक गंभीर मामला है, या फिर विपक्ष की आवाज दबाने का एक और प्रयास? सोशल मीडिया पर लोग इस केस को लेकर बंटे हुए हैं। कुछ लोग इसे भ्रष्टाचार की सच्चाई सामने लाने का प्रयास मानते हैं, तो कुछ इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई करार देते हैं।
National Herald केस के बहाने कांग्रेस एक बार फिर विपक्षी दलों को साथ लाने की कोशिश में है। मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रियंका गांधी, जयराम रमेश समेत तमाम नेता लगातार सरकार पर हमला बोल रहे हैं। वहीं, गैर-कांग्रेसी विपक्षी दल जैसे TMC, DMK और AAP ने भी जांच एजेंसियों की स्वतंत्रता पर सवाल उठाए हैं।
इस केस का भविष्य अब पूरी तरह से कानूनी प्रक्रिया पर निर्भर करता है। अगर कोर्ट में यह साबित हो जाता है कि संपत्तियों का अधिग्रहण गैरकानूनी था, तो गांधी परिवार को मुश्किलें झेलनी पड़ सकती हैं। वहीं अगर कांग्रेस कोर्ट में खुद को निर्दोष साबित कर देती है, तो यह भाजपा के लिए बड़ा राजनीतिक झटका होगा।