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जम्मू-कश्मीर के राजौरी में रहस्यमय बीमारी से हड़कंप: 17 से अधिक मौतें, जांच जारी

जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के बदहाल गांव में एक रहस्यमय बीमारी के कारण पिछले डेढ़ महीने में 17 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में ज्यादातर बच्चे और युवा शामिल हैं, इस अज्ञात बीमारी ने स्थानीय निवासियों और अधिकारियों के बीच चिंता की लहर पैदा कर दी है।

By HO BUREAU 

Updated Date

Jammu and Kashmir : जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के बदहाल गांव में एक रहस्यमय बीमारी के कारण पिछले डेढ़ महीने में 17 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस अज्ञात बीमारी ने स्थानीय निवासियों और अधिकारियों के बीच चिंता की लहर पैदा कर दी है। मरने वालों में ज्यादातर बच्चे और युवा शामिल हैं, और सरकार के साथ-साथ चिकित्सा विशेषज्ञ भी इस बीमारी के कारणों को समझने में जुटे हुए हैं। हालांकि अभी तक इसका ठोस कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है।

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बीमारी की शुरुआत और प्रसार

रहस्यमय बीमारी का पहला मामला 3 दिसंबर 2024 को सामने आया, जब गांव के निवासी हुसैन और उनके चार बच्चों की अचानक मौत हो गई। इस घटना ने पूरे गांव को स्तब्ध कर दिया। इसके बाद से लगातार मामले सामने आते गए। 24 दिसंबर तक मरने वालों की संख्या 9 हो गई, और 14 जनवरी तक यह संख्या 12 तक पहुंच गई। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 21 जनवरी 2025 तक 17 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

इस बीमारी की विशेषता यह है कि यह अचानक लक्षण दिखाकर व्यक्ति को प्रभावित करती है। पीड़ितों को पहले उल्टी, सिरदर्द, और कमजोरी की शिकायत होती है, और फिर यह लक्षण गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्याओं में बदल जाते हैं, जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है।

 

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विशेषज्ञों और एजेंसियों का हस्तक्षेप

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, राज्य सरकार ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेषज्ञ टीमों को बुलाया है। पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वाइरोलॉजी, पीजीआई चंडीगढ़, एम्स दिल्ली और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) की विशेषज्ञ टीमें गांव में पहुंचकर मामले की जांच कर रही हैं। इन टीमों ने अब तक 3,500 से अधिक सैंपल इकट्ठा किए हैं, जिनमें पानी, मिट्टी, भोजन और रक्त के नमूने शामिल हैं।

गांव को तीन अलग-अलग जोन – रेड, येलो और ग्रीन जोन – में विभाजित किया गया है। रेड जोन को सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र घोषित किया गया है और वहां किसी भी बाहरी व्यक्ति की एंट्री पर पाबंदी लगा दी गई है। इंडियन आर्मी को गांव में तैनात किया गया है ताकि स्थिति पर नजर रखी जा सके और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

 

पानी के स्रोत और पेस्टिसाइड्स पर संदेह

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स्थानीय जांच में यह पाया गया कि गांव के लोग जिस पानी का इस्तेमाल कर रहे थे, वह दूषित हो सकता है। पास के एक बावली (छोटे तालाब) के पानी में पेस्टिसाइड्स के निशान पाए गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पानी में मौजूद जहरीले रसायन या जैविक टॉक्सिन्स बीमारी का कारण हो सकते हैं। हालांकि, अब तक इन दावों की पुष्टि नहीं हुई है।

 

न्यूरोटॉक्सिन्स की भूमिका

कई विशेषज्ञों का मानना है कि इन मौतों का कारण न्यूरोटॉक्सिन्स हो सकते हैं। न्यूरोटॉक्सिन्स ऐसे रसायन होते हैं, जो मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के कार्यों को बाधित करते हैं। यह जहर प्राकृतिक स्रोतों जैसे सांप के विष, जहरीले पौधों, समुद्री जीवों, या कृत्रिम स्रोतों जैसे पेस्टिसाइड्स से आ सकता है।

हालांकि, यह सवाल अब भी बना हुआ है कि न्यूरोटॉक्सिन्स का स्रोत क्या है। गांव के पास स्थित जल स्रोतों में पेस्टिसाइड्स के अवशेष पाए गए हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह बीमारी का मुख्य कारण है। कुछ विशेषज्ञों ने यह भी संभावना जताई है कि यह जैविक या रासायनिक हमला हो सकता है।

 

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सरकार की प्रतिक्रिया

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, गृह मंत्रालय ने एक अंतर-मंत्रालयीय टीम का गठन किया है। इस टीम में स्वास्थ्य, कृषि, रसायन और जल संसाधन विभाग के विशेषज्ञ शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने स्वयं गांव का दौरा किया और प्रभावित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार हर संभव प्रयास कर रही है और पीड़ित परिवारों को आवश्यक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।

 

क्या यह साजिश हो सकती है?

इस रहस्यमय बीमारी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह बीमारी प्राकृतिक है, या इसके पीछे किसी साजिश का हाथ है? विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक जांच पूरी नहीं होती, तब तक किसी निष्कर्ष पर पहुंचना मुश्किल है। हालांकि, अब तक जैविक या रासायनिक हमले का कोई प्रमाण नहीं मिला है।

 

सावधानियां और जागरूकता अभियान

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सरकार ने गांव के लोगों को सतर्क रहने और साफ पानी का उपयोग करने की सख्त हिदायत दी है। स्वास्थ्य विभाग ने प्रभावित क्षेत्र में जागरूकता अभियान शुरू किया है ताकि बीमारी के प्रसार को रोका जा सके। लोगों को आइसोलेशन में रहने और बाहर के व्यक्तियों के संपर्क में न आने की सलाह दी गई है।

 

आगे की राह

सरकार और विशेषज्ञ टीमें इस बीमारी के कारणों को समझने और इसे रोकने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। गांव में नियमित स्वास्थ्य जांच की जा रही है, और प्रभावित परिवारों को वित्तीय सहायता और राहत सामग्री प्रदान की जा रही है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि बीमारी अन्य इलाकों में न फैले।

 

राजौरी के बदहाल गांव में रहस्यमय बीमारी से हो रही मौतें न केवल एक गंभीर स्वास्थ्य संकट है, बल्कि यह एक बड़ी चुनौती बन गई है। इस बीमारी ने चिकित्सा विशेषज्ञों, सरकारी एजेंसियों और जनता के बीच चिंता और असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। आने वाले दिनों में जांच के परिणामों से स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।

फिलहाल, यह जरूरी है कि सरकार और जनता मिलकर सतर्कता बरतें और बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए हरसंभव कदम उठाएं। यह समय है जब एकजुट होकर इस संकट का सामना किया जाए और पीड़ितों को राहत प्रदान की जाए।

 

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