पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हुई हिंसा के बाद राज्यपाल ने हालात का जायज़ा लेने के लिए क्षेत्र का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने प्रशासन से रिपोर्ट मांगी और हिंसा को लेकर चिंता जताई। राज्यपाल की इस पहल को विपक्ष ने सराहा, जबकि सत्ताधारी दल पर सवाल खड़े किए गए हैं।
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Murshidabad Violence: राज्यपाल पहुंचे हिंसा प्रभावित इलाकों में, पीड़ितों से की मुलाकात
पश्चिम बंगाल के Murshidabad जिले में हाल ही में हुई सांप्रदायिक हिंसा ने पूरे राज्य में तनाव का माहौल बना दिया है। घटना के बाद, प्रदेश के राज्यपाल Dr. C.V. Ananda Bose ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और स्थिति का जायज़ा लिया। उनकी इस यात्रा को लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है।
राज्यपाल ने भारी पुलिस बल के साथ हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। स्थानीय लोगों ने उन्हें बताया कि कैसे अचानक हालात बिगड़े और हिंसक भीड़ ने कई घरों और दुकानों को नुकसान पहुंचाया। लोगों का कहना था कि प्रशासन की तरफ से समय पर कार्रवाई नहीं हुई जिससे हालात और बिगड़ते चले गए।
राज्यपाल से बातचीत के दौरान कई पीड़ित परिवारों की आंखों में आंसू थे। उन्होंने बताया कि किस तरह उन्हें धमकाया गया, उनके घर जलाए गए और परिवार के सदस्य घायल हुए। राज्यपाल ने सभी को आश्वासन दिया कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और उन्हें न्याय दिलाया जाएगा।
राज्यपाल ने मौके पर मौजूद जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों से घटना की विस्तृत रिपोर्ट मांगी। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक कानून व्यवस्था का मामला नहीं, बल्कि राज्य की प्रशासनिक क्षमता की परीक्षा है। उन्होंने इस हिंसा को ‘निंदनीय’ बताया और सरकार से जल्द कार्रवाई की अपेक्षा जताई।
BJP और अन्य विपक्षी दलों ने राज्यपाल की पहल को सराहते हुए कहा कि सरकार के असफल प्रयासों के बाद अब संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को हस्तक्षेप करना पड़ा है। उन्होंने ममता बनर्जी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह राज्य में बढ़ती law and order failure का संकेत है।
दूसरी ओर, TMC (Trinamool Congress) नेताओं ने राज्यपाल की इस यात्रा को ‘राजनीतिक स्टंट’ बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यपाल विपक्षी दलों के इशारे पर काम कर रहे हैं और इससे मामले को और ज्यादा राजनीतिक रंग दिया जा रहा है।
राज्यपाल की पीड़ितों से मुलाकात की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। लोग उनके संवेदनशील रवैये की सराहना कर रहे हैं और साथ ही राज्य सरकार पर सवाल उठा रहे हैं कि प्रशासन हिंसा को समय पर क्यों नहीं रोक पाया।
विश्लेषकों का मानना है कि यह दौरा केवल सहानुभूति जताने तक सीमित नहीं रहेगा। इससे आने वाले चुनावों में Murshidabad हिंसा एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकती है। विपक्ष इस मामले को जनता के सामने उठाकर सत्ताधारी पार्टी की विफलता को उजागर करने का प्रयास करेगा।
Murshidabad में हुई हिंसा न केवल एक गंभीर सामाजिक मसला है, बल्कि यह बंगाल की कानून व्यवस्था, प्रशासनिक जवाबदेही और राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर रही है। राज्यपाल की पीड़ितों से मुलाकात एक मानवीय पहल के साथ-साथ राजनीतिक संकेत भी है, जिसका असर आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा।