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मनमोहन सिंहः रह गईं यादें, गवर्नर और वित्त मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक का सफर

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह का निधन हो गया। गुरुवार (26 दिसंबर) को 92 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। मनमोहन सिंह को गुरुवार शाम को तबीयत गंभीर होने के बाद दिल्ली एम्स में इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया था, जहां से थोड़ी देर बाद उनके निधन की खबर आई।

By HO BUREAU 

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नई दिल्ली।  भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह का निधन हो गया। गुरुवार (26 दिसंबर) को 92 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। मनमोहन सिंह को गुरुवार शाम को तबीयत गंभीर होने के बाद दिल्ली एम्स में इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया था, जहां से थोड़ी देर बाद उनके निधन की खबर आई।

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मनमोहन सिंह के वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री रहने के दौर के कई किस्से प्रचलित हैं। फिर चाहे उनके संसद में शायरी पढ़ने से जुड़े वाकये हों या 1991 के आर्थिक संकट से देश को निकालने का पूरा घटनाक्रम। इन पर पूरे देश में कई बार चर्चाएं हुई हैं। गौरतलब है कि मनमोहन सिंह भारत के चौदहवें प्रधानमंत्री थे। उन्होंने 2004 से लेकर 2014 तक यूपीए सरकार में प्रधानमंत्री का पद संभाला। मनमोहन सिंह को भारतीय अर्थव्यवस्था का उदारीकरण करने के लिए जाना जाता है।

शिक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार जैसे कई उल्लेखनीय कार्य

बतौर प्रधानमंत्री अपने 10 साल के शासनकाल में उन्होंने कई ऐसे बड़े और महत्वपूर्ण फैसले लिए, जिसने भारत को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने का काम किया। शिक्षा का अधिकार (RTE), सूचना का अधिकार (RTI), मनरेगा योजना समेत तमाम कई ऐसे बड़े फैसले हैं, जो उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए लिए। 2008 की आर्थिक मंदी के झटकों से भी उन्होंने अर्थव्यवस्था को उबारा था।

अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में हुआ था जन्म, ऑक्सफोर्ड से भी शिक्षा

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डॉ. मनमोहन सिंह को एक विचारक और विद्वान के रूप में जाना जाता था। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के एक गांव में हुआ था। डॉ. सिंह ने 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से मैट्रिकुलेशन की परीक्षाएं पूरी कीं। उनका शैक्षणिक जीवन उन्हें पंजाब से कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, यूके ले गया, जहां उन्होंने 1957 में अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी ऑनर्स की डिग्री हासिल की। ​​इसके बाद उन्होंने 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नफील्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी. फिल. की।

कई महत्वपूर्ण पदों पर दी सेवाएं

इसके बाद 1987 और 1990 के बीच जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव के रूप में उनकी नियुक्ति हुई। 1971 में, डॉ. सिंह वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में भारत सरकार में शामिल हुए। इसके तुरंत बाद 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में उनकी नियुक्ति हुई। डॉ. सिंह ने कई सरकारी पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं। इनमें वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष शामिल हैं। वह 1991 से 1996 तक भारत के वित्त मंत्री रहे।

सार्वजनिक जीवन में अनेक पुरस्कार मिले

मनमोहन सिंह को उनके सार्वजनिक जीवन में अनेक पुरस्कार मिले हैं। उनमें प्रमुख हैं, भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण, जो कि उन्हें 1987 में दिया गया था। इसके अलावा 1995 में भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार, 1993 और 1994 वर्ष के वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी पुरस्कार, 1993 वर्ष के वित्त मंत्री के लिए यूरो मनी पुरस्कार, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय का एडम स्मिथ पुरस्कार और कैम्ब्रिज में सेंट जॉन्स कॉलेज में विशिष्ट प्रदर्शन के लिए राइट पुरस्कार (1955)।

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मनमोहन सिंह का राजनीतिक करियर

अपने राजनीतिक जीवन में मनमोहन सिंह 1991 से भारत के संसद के उच्च सदन (राज्यसभा) के सदस्य रहे हैं, जहां वे 1998 से 2004 के बीच विपक्ष के नेता थे। मनमोहन सिंह ने 2004 के आम चुनावों के बाद 22 मई को प्रधान मंत्री के रूप में शपथ ली और 22 मई 2009 को दूसरे कार्यकाल के लिए पद की शपथ ली थी।

PM रहते मनमोहन सिंह की उपलब्धियां

  • डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT): मनमोहन सिंह के कार्यकाल में ही लोगों के खाते में सीधे पैसे ट्रांसफर करने की प्रणाली शूरू की गई थी। इससे भ्रष्टाचार को कम करने में काफी हद तक मदद मिली और लोगों तक सरकारी सहायता सीधे पहुंचने लगी।
  • भारत-अमेरिका परमाणु समझौता: इस समझौते के बाद भारत को नागरिक परमाणु तकनीक तक पहुंच मिली और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति को भी मजबूती मिली। इसे डॉ. सिंह के कार्यकाल की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि के तौर पर देखा जाता है।
  • NREGA: साल 2005 में शुरू की गई इस स्कीम ने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जीवन में बड़ा परिवर्तन लाया। इसके तहत हर ग्रामीण परिवार को कम से कम 200 दिनों के रोजगार की गारंटी मिली, जिससे उन्हें आजीविका चलाने में काफी सहायता हुई, साथ ही ग्रामीण बुनियादी ढांचे में भी सुधार हुआ।
  • सूचना का अधिकार (RTI): साल 2005 में ही इस कानून को भी पारित किया गया था, जिसने सरकारी कार्यों में पारदर्शिता को बढ़ाया। इस कानून के तहत जनता को सरकार के फैसलों और नियमों से जुड़ी किसी भी जानकारी को हासिल करने का अधिकार है।
  • आधार योजना: आधार योजना से प्रत्येक भारतीय नागरिकों को एक यूनिक पहचान दिलाई, जिससे लोगों तक सरकारी सेवाओं की पहुंच आसान हो गई। साथ ही कई पहचान पत्रों की जगह इस एक पहचान पत्र ने लोगों का जीवन आसान किया।

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