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उत्तराखंड में निकाय चुनावः भाजपा के कई विधायक बढ़ा रहे पार्टी के लिए टेंशन, बयानबाजी पर होगी कार्रवाई

उत्तराखंड में निकाय चुनाव की तैयारी के बीच जब से शहरी विकास विभाग के द्वारा निकायों में आरक्षण घोषित किया गया है, तब से बीजेपी के विधायक या तो आरक्षण पर सवाल उठा रहे हैं, या फिर अपने करीबियों को टिकट देने के लिए दबाव बनाने का काम कर रहे हैं, लेकिन भाजपा संगठन ने इसे गंभीरता से लेते हुए ऐसे विधायकों को स्पष्ट निर्देश दे दिए हैं कि इस तरह के बयान पार्टी अनुशासनहीनता के रूप में लेगी, देखिए रिपोर्ट।

By HO BUREAU 

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देहरादून। उत्तराखंड में निकाय चुनाव की तैयारी के बीच जब से शहरी विकास विभाग के द्वारा निकायों में आरक्षण घोषित किया गया है, तब से बीजेपी के विधायक या तो आरक्षण पर सवाल उठा रहे हैं, या फिर अपने करीबियों को टिकट देने के लिए दबाव बनाने का काम कर रहे हैं, लेकिन भाजपा संगठन ने इसे गंभीरता से लेते हुए ऐसे विधायकों को स्पष्ट निर्देश दे दिए हैं कि इस तरह के बयान पार्टी अनुशासनहीनता के रूप में लेगी, देखिए रिपोर्ट।

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निकाय चुनाव की तैयारी के बीच भाजपा के कई विधायक पार्टी के लिए टेंशन बढ़ने का काम कर रहे हैं, निकायों में आरक्षण घोषित होने के बाद सबसे पहले विकास नगर से भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने जहां विकास नगर, नगर पालिका में अनुसूचित जाति की महिला सीट घोषित होने पर सवाल खड़े किए और आपत्ति दर्ज करने पर निस्तारण न होने पर हाई कोर्ट तक जाने की बात कह डाली, तो वही लैंसडाउन से भाजपा विधायक दिलीप रावत ने कोटद्वार नगर निगम सीट पर सुमन कोटनाला को ही उम्मीदवार बनाये जाने के लिए ऐसी प्रेस पॉलिटिक्स चली कि अब उन्हीं की पॉलिटिक्स उन पर उल्टी पड़ती हुई नजर आ रही है। क्या कुछ दोनों विधायकों के बयान है पहले आप सुनिए।

भाजपा के दोनों विधायकों के बयान पार्टी के लिए टेंशन बढाने वाले हैं,तो वहीं पार्टी ने भी दोनों विधायकों के बयान पर सख्त रूख अपनाया है, बीजेपी की प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का बयान सामने है,जिसमें उन्होंने विधायकों को सख्त हिदायत दी है कि यदि उन्हें आरक्षण से संबंधित कोई आपत्ति है तो वह अपनी आपत्तियां दर्ज कर सकते हैं और मीडिया में बयान देने से विधायक बचे,तो वही दिलीप रावत के बयान पर भी महेंद्र भट्ट का साथ तौर से कहना है कि उम्मीदवारों की दावेदारी और यदि किसी विधायक को कोई बात कहनी है तो वह पार्टी फार्म पर रखे नहीं तो विधायकों के बयानों को अनुशासनहीनता के दायरे में लिया जाएगा।

निकाय चुनाव में आरक्षण घोषित होने के बाद बड़े स्तर पर आरक्षण को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही है, वहीं बीजेपी के नेताओं के आरक्षण पर सवाल उठाने को पार्टी ने अनुशासनहीनता के दायरे में लेने की बात कह डाली है तो वहीं उम्मीदवारों को लेकर प्रेशर पॉलिटिक्स बनाने वाले नेताओं को भी बीजेपी ने सख्त हिदायत दे दी है,ऐसे देखना यही होगा कि आखिरकार पार्टी ने जो लाइन अब खींची है क्या उसके बाद कोई विधायक इस तरह के के बयान देगा,जिसे पार्टी अनुशासनहीनता के दायरे में मान रही है।

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