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झारखंड में तकरारः बंद पड़ी खदानों की जमीन राज्य सरकार को लौटाए केंद्रः सोरेन

झारखंड में राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच बकाया राशि को लेकर तकरार जग जाहिर है, लेकिन अब ये मामले को सुलझाने के लिए हेमंत सोरेन ने अल्टिमेटम दे दिया था कि अब बात राउन्ड टेबल पर होगी। यानि कि एक हाथ दो दूसरे हाथ लो वाला फार्मूला के तहत ही काम चल पाएगा।

By HO BUREAU 

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रांची। झारखंड में राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच बकाया राशि को लेकर तकरार जग जाहिर है, लेकिन अब ये मामले को सुलझाने के लिए हेमंत सोरेन ने अल्टिमेटम दे दिया था कि अब बात राउन्ड टेबल पर होगी। यानि कि एक हाथ दो दूसरे हाथ लो वाला फार्मूला के तहत ही काम चल पाएगा।

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बता दें कि राज्य के खनिज रॉयल्टी और बकाया राशि को लेकर राज्य सरकार केंद्र सरकार के बीच तकरार है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से केंद्रीय कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी ने मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने झारखंड का बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपये के भुगतान की मांग रखी। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने बंद पड़ी खदानों की जमीन राज्य सरकार को लौटने की बात भी रखी। जवाब में केंद्रीय मंत्री ने इस मुद्दे के समाधान और बकाये के भुगतान का भरोसा दिलाया।

इतना ही नहीं बातचीत सिर्फ खनिज रॉयल्टी और बकाया राशि तक नहीं हुई।हेमंत सोरेन ने केन्द्रीय मंत्री के सामने कई शर्त, सुझाव और समझौता करने की बात रखी। हेमंत सोरेन ने कहा कि कोल खनन परियोजनाओं को लेकर जमीन का जो अधिग्रहण होता है। जो मजदूर विस्थापित होते हैं, उन्हें सिर्फ मुआवजा और नौकरी देने की व्यवस्था से हमें आगे बढ़ाने की जरूरत है। विस्थापित मजदूरों को खनन परियोजनाओं में स्टेक होल्डर बनाकर हमें आगे बढ़ने की जरूरत है।

हेमंत सोरेन ने आगे कहा की खनन परियोजनाओं में कार्य को लेकर जो टेंडर जारी किए जाते हैं। उसमें छोटे-मोटे कार्यों का टेंडर विस्थापितों को मिलना चाहिए।. इस दिशा में कोल मंत्रालय दिशा निर्देश जारी करें।

मुख्यमंत्री यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि राज्य में ऐसी कई कोल परियोजनाएं हैं, जहां खनन का कार्य पूरा हो चुका है और कोल कंपनियों की ओर से उस जमीन को यूं ही छोड़ दिया गया है । वह जमीन ना तो राज्य सरकार को हस्तांतरित की जा रही है और ना ही उसका कोई सदुपयोग हो रहा है।  इस वजह से बंद हो चुकी कोल खनन परियोजनाओं में अवैध माइनिंग हो रही है, जिस वजह से कई घटनाएं भी हो चुकी हैं। ऐसे में खाली पड़े खदानों की जमीन राज्य सरकार को वापस किया जाय।

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यानी की इस बैठक से एक बात तो स्पष्ट है की हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार को परोक्ष रूप से ये साफ संदेस दे दिया है की बातचीत अब राउन्ड टेबल पर होगी।एक हाथ देंगे तो दूसरे हाथ से दिया जाएगा। केंद्र सरकार पहले रॉयल्टी और बकाया राशि का भुगतान करे उसके बाद शर्तिया अंदाज में राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच सहमति बन पाएगी।  तो अब देखना ये है की कोयला मंत्री और मुख्यमंत्री के बीच लंबी चली बातचीत का कुछ निष्कर्ष निकलता है या फिर दिल्ली अभी दूर है।

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