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झारखंडः हेमंत किसके सारथी ! दिल्ली विधानसभा चुनाव बना हेमंत सोरेन के गले की फांस

दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान के साथ  सियासी दलों में जुबानी जंग भी सियासत का तापमान बढ़ा रहा है।दिल्ली की सियासी गणित को देख में झामुमो असमंजस है। दिल्ली के सियासी द्वंद्व में हेमन्त किसके साथ निभायेंगे,य़ह सभी के जुबान पर है। JMM के लिए भी ये चुनौती से कम नही है।दिल्ली विधानसभा चुनाव में सीएम हेमंत किसे दोस्त कहे। किसे दुश्मन भारी दुविधा है। क्योंकि जब हेमंत जेल में थे दो आप ने खुलकर इसका विरोध किया था।

By HO BUREAU 

Updated Date

रांची। दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान के साथ  सियासी दलों में जुबानी जंग भी सियासत का तापमान बढ़ा रहा है।दिल्ली की सियासी गणित को देख में झामुमो असमंजस है। दिल्ली के सियासी द्वंद्व में हेमन्त किसके साथ निभायेंगे,य़ह सभी के जुबान पर है। JMM के लिए भी ये चुनौती से कम नही है।दिल्ली विधानसभा चुनाव में सीएम हेमंत किसे दोस्त कहे। किसे दुश्मन भारी दुविधा है। क्योंकि जब हेमंत जेल में थे दो आप ने खुलकर इसका विरोध किया था।

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हेमंत सोरेन और केजरिवाल जब जेल सलाखोम के पीछें थें।तब कल्पना सेरेन और सुनिता केजरिवाल दोनोएक दूसरे दर्द बांज रही थी। दोनों एक दूसरे का हौसला बढ़ा रही थी। दूसरी कांग्रेस के साथ भी झामुमो का पुराना राजनीतिक संबंध है। राज्य में कांग्रेस के सहयोग से वे सरकार चला रहे हैं। हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी आए थे। ऐसे में झामुमो फिलहाल तटस्थ रवैया अपनाने के पक्ष में है।ऐसे में JMM के मुखिया के लिए यें स्थिती  एक तरफ कुआं और दूसरी तरफ खाई वाली है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव  में बीजेपी विरोधी दलों के आपस में भिड़ने से विपक्षी एकता की कोशिशें नाकाम हो गई है। स्थिति यह है कि सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी  और कांग्रेस एक-दूसरे के विरुद्ध हमलावर है और आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चरम पर है। इससे राज्य में सत्तारूढ़ सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा काफी हद तक द्वंद्व में है। इस परिस्थिति में चुनाव के दौरान खुलकर साथ देने में जोखिम है। एक का साथ देने से दूसरा खेमा नाराज हो सकता है।

दरअसल, दिल्ली में बड़ी संख्या में झारखंड के लोग निवास करते हैं और प्रभावी होने के कारण झामुमो चुनाव में अपना प्रभाव दिखा सकता है। लेकिन झामुमो के रणनीतिकार सतर्क हैं। इसे लेकर विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव की अलग-अलग परिस्थिति का तर्क फर्क़ को समझने की कोशिश कर रही है हेमन्त किसके सारथी !

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