भारत ने अरब सागर में INS विक्रांत की तैनाती के साथ एक शक्तिशाली नौसैनिक अभ्यास कर पाकिस्तान को सख्त संदेश दिया है। इस सैन्य शक्ति प्रदर्शन के दौरान भारतीय नौसेना ने अपनी मारक क्षमता और रणनीतिक तैयारी का शानदार उदाहरण पेश किया। क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर भारत के इस कदम से पाकिस्तान में चिंता की लहर है।
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अरब सागर में भारत ने अपनी सैन्य शक्ति का भव्य प्रदर्शन कर एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि देश की सुरक्षा सर्वोपरि है और किसी भी खतरे से निपटने के लिए भारतीय सेनाएं पूरी तरह तैयार हैं। इस बार शो के केंद्र में था INS Vikrant—भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर, जो रणनीतिक दृष्टिकोण से न केवल भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाता है बल्कि पूरी दुनिया को एक मजबूत संदेश देता है।
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच यह अभ्यास और भी अहम हो गया है। INS विक्रांत की अरब सागर में तैनाती न केवल एक सामरिक कदम है, बल्कि यह पाकिस्तान और अन्य शत्रु राष्ट्रों के लिए चेतावनी भी है कि भारत किसी भी दुस्साहस का माकूल जवाब देने में सक्षम है। इस अभ्यास में मिग-29K फाइटर जेट, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर हेलीकॉप्टर्स और अत्याधुनिक हथियारों से लैस भारतीय नौसेना के कई पोत शामिल हुए।
INS विक्रांत न केवल तकनीकी रूप से आधुनिक है, बल्कि यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक मील का पत्थर है। यह पोत 45,000 टन वजनी है और इस पर एक साथ 30 से अधिक विमान तैनात किए जा सकते हैं। इसके निर्माण से भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है, जो खुद एयरक्राफ्ट कैरियर बना सकते हैं। इसकी उपस्थिति से हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक बढ़त काफी मजबूत हो जाती है।
भारत के इस शक्ति प्रदर्शन से पाकिस्तान में घबराहट का माहौल देखा जा रहा है। पाकिस्तान की मीडिया और रक्षा विश्लेषकों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसे भारत का “आक्रामक रुख” बताया है। लेकिन भारत की ओर से साफ संदेश है कि यह अभ्यास किसी को उकसाने के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए किया जा रहा है।
गृह और रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, भारत की नीति स्पष्ट है—हम शांति चाहते हैं, लेकिन कमजोरी नहीं दिखाएंगे। भारत की सेना, विशेष रूप से नौसेना, अब लगातार हाई अलर्ट पर है और समुद्री सीमाओं की निगरानी को और मजबूत किया गया है। इस शक्ति प्रदर्शन का उद्देश्य समुद्री व्यापार मार्गों की सुरक्षा, भारतीय हितों की रक्षा, और दुश्मनों को चेतावनी देना है।
भारत के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गंभीरता से लिया गया है। अमेरिका, जापान, और ऑस्ट्रेलिया जैसे रणनीतिक साझेदारों ने भारत के इस शक्ति प्रदर्शन को क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया है। भारत की भूमिका अब एक सुरक्षा प्रदाता के रूप में देखी जा रही है, विशेषकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में।