भारत सरकार ने नए उद्योगों की स्थापना के लिए पर्यावरण मंजूरी (ईसी) और स्थापना की सहमति (सीटीई) के दोहरे अनुपालन को हटाने की उद्योग की लंबे समय से चली आ रही मांग को स्वीकार कर लिया है। अब गैर-प्रदूषणकारी श्वेत श्रेणी के उद्योगों को सीटीई या कंसेंट टू ऑपरेट (सीटीओ) लेने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं होगी।जिन उद्योगों ने ईसी ले लिया है, उन्हें सीटीई लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
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नई दिल्ली। भारत सरकार ने नए उद्योगों की स्थापना के लिए पर्यावरण मंजूरी (ईसी) और स्थापना की सहमति (सीटीई) के दोहरे अनुपालन को हटाने की उद्योग की लंबे समय से चली आ रही मांग को स्वीकार कर लिया है। अब गैर-प्रदूषणकारी श्वेत श्रेणी के उद्योगों को सीटीई या कंसेंट टू ऑपरेट (सीटीओ) लेने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं होगी।जिन उद्योगों ने ईसी ले लिया है, उन्हें सीटीई लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
इससे न केवल अनुपालन बोझ कम होगा, बल्कि अनुमोदनों के दोहराव को भी रोका जा सकेगा। इस आशय की अधिसूचना MOEFCC द्वारा वायु अधिनियम और जल अधिनियम के तहत जारी की गई है। अधिसूचना इन दोनों अनुमोदनों को प्रभावी ढंग से एकीकृत करती है और ईसी में ही सीटीई प्रक्रिया के दौरान विचार किए गए मुद्दों को ध्यान में रखने के लिए इस संबंध में एक मानक प्रक्रिया भी जारी की गई है। ईसी प्रक्रिया के दौरान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से परामर्श किया जाएगा। इसके अलावा सीटीई शुल्क का भुगतान उद्योग को करना होगा ताकि राज्यों को राजस्व का कोई नुकसान न हो।