रुपये का मूल्य 1947 से अब तक 85 गुना से अधिक गिरा। भारतीय रुपये की गिरावट के कारण। भविष्य की संभावनाएं और सरकार की रणनीति ।
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Indian Rupee Crosses 87 : हाल ही में भारतीय रुपये ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87 का स्तर पार कर लिया, जिससे वैश्विक आर्थिक अस्थिरता की स्थिति और स्पष्ट हो गई है। यह गिरावट विशेष रूप से तब देखी गई जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा, मैक्सिको और चीन पर नए टैरिफ लगाए। इससे न केवल भारतीय बाजार बल्कि अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं पर भी दबाव पड़ा। हालांकि, भारतीय वित्त मंत्रालय ने इस स्थिति को लेकर चिंता नहीं जताई और इसे वैश्विक अस्थिरता का हिस्सा बताया, जिससे निपटने की आवश्यकता है।
भारतीय रुपये की गिरावट के कारण
सरकार का रुख
भारत सरकार इस गिरावट को लेकर चिंतित नहीं दिख रही है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि भारत “एक्सचेंज रेट पॉलिसी” पर विश्वास नहीं करता, बल्कि अस्थिरता को नियंत्रित करने की रणनीति अपनाता है। उनका मानना है कि भारतीय रुपये का कमजोर होना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, और इसे बाजार के अनुसार चलने देना चाहिए।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
भविष्य की संभावनाएं और सरकार की रणनीति
सरकार का मुख्य ध्यान आत्मनिर्भरता बढ़ाने और व्यापार नीतियों को मजबूत करने पर है। सरकार की रणनीति इस प्रकार है:
अंततः यह कहना उचित ही होगा कि, भारतीय रुपये की कमजोरी एक गंभीर आर्थिक मुद्दा जरूर है, लेकिन सरकार इसे वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता का एक हिस्सा मानती है। भारत को अपनी मौद्रिक नीति, व्यापारिक रणनीति और आर्थिक सुधारों के माध्यम से इस चुनौती का सामना करना होगा। सरकार का ध्यान दीर्घकालिक समाधान पर है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को अधिक मजबूत और आत्मनिर्भर बनाया जा सके।
भारत में आज़ादी (1947) से लेकर अब तक अमेरिकी डॉलर (USD) के मुकाबले भारतीय रुपये (INR) की ऐतिहासिक विनिमय दर इस प्रकार रही है:
भारत में आज़ादी (1947) से लेकर अब तक अमेरिकी डॉलर (USD) के मुकाबले भारतीय रुपये (INR) की ऐतिहासिक विनिमय दर इस प्रकार रही है:
2025 के लिए, विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, रुपये में मामूली गिरावट की उम्मीद है। बैंक ऑफ बड़ौदा की एक रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में अस्थिरता और अमेरिकी डॉलर की मजबूती के कारण, 2025 में रुपये में मामूली गिरावट आ सकती है।
इसके अतिरिक्त, JM Financial की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2025 में रुपया 85.5 से 87.5 प्रति डॉलर के बीच रह सकता है।
हाल ही में, 5 फरवरी 2025 को, रुपया 87.0675 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ, जो पिछले सत्र के 87.1850 के रिकॉर्ड निचले स्तर से थोड़ा सुधार दर्शाता है।
इन अनुमानों के अनुसार, 2025 में रुपये में मामूली गिरावट की संभावना है, लेकिन यह कई वैश्विक और घरेलू आर्थिक कारकों पर निर्भर करेगा।
मुख्य निष्कर्ष: