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India-Pakistan तनाव के बीच Donald Trump की ‘चांदी’, अमेरिका को मिल रहा कूटनीतिक और आर्थिक लाभ

भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच अमेरिका और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। इस कूटनीतिक संघर्ष का लाभ जहां अमेरिकी रक्षा कंपनियों को हो रहा है, वहीं ट्रंप इसे राजनीतिक तौर पर भुनाने की कोशिश में लगे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों के बीच की स्थिति का फायदा अमेरिका को रणनीतिक और आर्थिक रूप से मिल रहा है।

By bishanpreet345@gmail.com 

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जब दो लड़ते हैं, तीसरे की ‘चांदी’ होती है: ट्रंप और अमेरिका का बढ़ता प्रभाव

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कोई नया विषय नहीं है, लेकिन हर बार जब सीमा पर हालात बिगड़ते हैं, तो कुछ देश इस संकट को अपने हितों के लिए अवसर में बदल देते हैं। हालिया घटनाक्रम में एक बार फिर यह साफ देखने को मिला कि कैसे अमेरिका, और विशेषकर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, इस स्थिति से कूटनीतिक और आर्थिक लाभ लेने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।

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डोनाल्ड ट्रंप ने अपने हालिया इंटरव्यू और सोशल मीडिया पोस्ट्स में एक बार फिर दक्षिण एशिया के मुद्दे को उठाया और खुद को एक बार फिर मध्यस्थ” या “शांति दूत” के रूप में पेश करने की कोशिश की। हालांकि भारत ने हमेशा इस तरह की मध्यस्थता को खारिज किया है, लेकिन ट्रंप इस बयानबाज़ी के ज़रिए अमेरिका में रिपब्लिकन वोटर्स और रक्षा लॉबी को साधने का प्रयास कर रहे हैं।

रक्षा सौदों में भारी मुनाफा

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव का सीधा फायदा अमेरिका की रक्षा कंपनियों को हो रहा है। भारत द्वारा किए गए सुरक्षा उपकरणों और हथियारों के आयात में अमेरिका शीर्ष पर बना हुआ है। ट्रंप के कार्यकाल में ही अमेरिका ने भारत को कई अत्याधुनिक रक्षा प्रणाली बेचने के लिए समझौते किए थे, जिनकी डिलीवरी और भुगतान अब हो रहा है। इससे अमेरिका की अर्थव्यवस्था को करोड़ों डॉलर का लाभ हो रहा है।

कूटनीतिक चालें और ट्रंप की वापसी की तैयारी

ट्रंप केवल आर्थिक फायदा उठाने में लगे हैं, बल्कि इस मुद्दे को 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में एक प्रचार उपकरण के रूप में भी इस्तेमाल कर रहे हैं। उनका दावा है कि जब वे राष्ट्रपति थे, तो भारत-पाकिस्तान के बीच शांति कायम थी और उन्होंने दोनों देशों के नेताओं से अच्छे संबंध बनाए थे। वे इस मुद्दे का उपयोग अपने विदेश नीति अनुभव को साबित करने के लिए कर रहे हैं।

भारत की प्रतिक्रिया और रणनीति

भारत ने हमेशा स्पष्ट किया है कि वह किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं चाहता, और यह द्विपक्षीय मामला है। भारत ने अमेरिकी बयानबाज़ी पर कोई सीधी टिप्पणी नहीं की, लेकिन राजनयिक स्तर पर यह संदेश जरूर दिया गया कि भारत अपने आत्मनिर्भर कूटनीतिक निर्णयों में सक्षम है। साथ ही भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन देने का मुद्दा उठाकर अमेरिका सहित दुनिया का ध्यान इस ओर खींचा।

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वैश्विक राजनीति में अमेरिका का ‘Double Game’

यह पहला मौका नहीं है जब अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान के तनाव का फायदा उठाया हो। हर बार अमेरिका शांति की बात करता है लेकिन बैक डोर से दोनों देशों को हथियार और तकनीक बेचता है। इससे साफ है कि अमेरिका के लिए यह केवल एक रणनीतिक अवसर है, बल्कि एक बाजार भी है जिसे वे कभी नहीं छोड़ना चाहते।

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