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India-Pak तनाव के बीच इंदिरा गांधी के पोस्टर क्यों लगे? क्या है इसके पीछे का राजनीतिक संदेश?

India-Pak तनाव के माहौल के बीच इंदिरा गांधी के पोस्टर अचानक सार्वजनिक स्थलों पर दिखाई देना एक नई राजनीतिक बहस को जन्म दे रहा है। इन पोस्टरों में इंदिरा गांधी को देश की "शक्ति की प्रतीक" के रूप में दिखाया गया है। इस कदम के पीछे की राजनीति, समय और रणनीति को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

By bishanpreet345@gmail.com 

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भारत-पाक तनाव के मौजूदा हालात के बीच राजधानी दिल्ली सहित कई प्रमुख शहरों में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पोस्टर लगने शुरू हो गए हैं। इन पोस्टरों में उन्हें “लौह महिला”, “देश की रक्षक”, और “सर्जिकल स्ट्राइक की जननी” जैसे शब्दों से संबोधित किया गया है। इससे न सिर्फ सियासी गलियारों में हलचल मच गई है बल्कि आम जनता के बीच भी इस कदम की मंशा को लेकर चर्चा तेज हो गई है।

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इन पोस्टरों का समय बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक बयानबाज़ी, सीमा पर गोलीबारी और LOC पर तनाव फिर से बढ़ा है। इस संवेदनशील स्थिति में इंदिरा गांधी के पोस्टर सामने आना एक रणनीतिक सियासी चाल के रूप में देखा जा रहा है, खासकर जब इंदिरा गांधी को 1971 की पाकिस्तान पर विजय और बांग्लादेश निर्माण का श्रेय दिया जाता है।

 

पोस्टरों में इंदिरा गांधी की पुरानी तस्वीरें लगी हैं — जिनमें से एक मशहूर फोटो है जब उन्होंने 1971 युद्ध के बाद सेना प्रमुख के साथ बैठकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इन पोस्टरों में यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि भारत की ताकत और आत्मविश्वास के प्रतीक के रूप में इंदिरा गांधी आज भी प्रासंगिक हैं।

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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम आगामी चुनावों से भी जुड़ा हो सकता है। जहां एक ओर सरकार राष्ट्रवाद को प्रमुख मुद्दा बना रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष यह दिखाना चाहता है कि कांग्रेस की विरासत में भी राष्ट्र की सुरक्षा और आत्मसम्मान सर्वोपरि रहा है। इससे दोनों ही पक्षों में अपनी राष्ट्रवादी छवि को मजबूत करने की होड़ दिखाई दे रही है।

 

दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, भोपाल और चंडीगढ़ जैसे शहरों में इन पोस्टरों की मौजूदगी ने स्थानीय प्रशासन को भी चौकन्ना कर दिया है। कई जगहों पर पोस्टर बिना अनुमति के लगाए गए, जिसके चलते नगर निगमों ने इन्हें हटाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। हालांकि सोशल मीडिया पर ये पोस्टर तेजी से वायरल हो रहे हैं, जहां लोग दो भागों में बंटे हुए नज़र आ रहे हैं — कुछ इसे “राजनीतिक स्टंट” कह रहे हैं, तो कुछ इसे “देशभक्ति की याद” बता रहे हैं।

 

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India-Pak विवाद के वर्तमान संदर्भ में, इन पोस्टरों का सीधा संदेश यही है कि भारत किसी भी चुनौती से पीछे नहीं हटेगा। इंदिरा गांधी का नाम और छवि इस संदेश को मजबूती देती है। लेकिन सवाल यह भी है कि क्या इतिहास को वर्तमान राजनीति के लिए इस तरह से उपयोग करना उचित है? यह बहस अब सोशल मीडिया और न्यूज़ स्टूडियो से निकलकर आम लोगों के बीच भी पहुंच गई है।

 

इस पूरे घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन पार्टी के कई स्थानीय नेताओं ने इसे “नवभारत के लिए प्रेरणा” बताया है। वहीं, बीजेपी के नेताओं ने इसे “कांग्रेस की बौखलाहट” करार दिया है और कहा है कि “जो पार्टी आज देश विरोधी ताकतों के साथ खड़ी दिखाई देती है, वो अब इंदिरा गांधी के नाम का सहारा ले रही है।”

 

इन पोस्टरों का प्रभाव आने वाले हफ्तों में और भी स्पष्ट हो सकता है, खासकर यदि India-Pak तनाव और बढ़ता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह सिर्फ एक प्रचार रणनीति है या वाकई में इससे देशभक्ति की भावना को कोई नया आयाम मिलेगा।

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